बच्चों में फ्लू, खतरनाक भी हो सकता है

Mother checking on sick daughter laying in bed

नई दिल्ली: एनफ्लूएंजा वायरल बुख़ार है और यह बच्चों में हल्का सा हो जाता है। सर्दियों के दौरान यह बच्चों में आमतौर पर हो जाता है और कमजोरर रोग प्रतिरोधक क्षमता होने की वजह से बच्चे इसका शिकार जल्दी हो जाते हैं।

अचानक से बुख़ार हो जाना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और बेचैनी के साथ साथ ख़राब गला, सरसराहट और नाक बहना आदि सांस प्रणाली की समस्याएं होना आदि सामान्य फ्लू के लक्ष्ण हैं। बच्चों में फ्लू के लक्षण जुकाम और सांस प्रणाली के ऊपरी हिस्से के संक्रमण जैसे ही होते हैं। इससे मिचली, उल्टी और दस्त भी हो सकते हैं।

आईएमए के प्रेसिडेंट डॉ के के अग्रवाल ने बताया कि फ्लू बहुत तेज़ी से फैलता है, ख़ासकर तब जब बच्चे स्कूल के बंद कमरों में रहते हैं। जब किसी की छींक या खांसी से निकले नमी कण हवा के ज़रिए फैलते हैं तो सांस के जरिए दूसरे बच्चों के अंदर भी चले जाते हैं या फिर जब बच्चे नाक से बहने वाले मवाद या संक्रमित थूक के संपर्क में आते हैं। बच्चों को इससे बचाने का सबसे आसान तरीका है सालाना वैक्सीनेशन। पेरेंट्स को इस बारे में डॉक्टरों से सलाह लेनी चाहिए।

डॉक्टर अग्रवाल ने कहा कि इसके बिगड़ने से कानों से मवाद निकलना, दमा और निमोनिया जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती है। बिगड़ा हुआ निमोनिया गंभीर और तेज़ी से जानलेवा हो सकता है, ख़ास तौर पर जब स्टाफ़ बैक्टीरिया मौजूद हो। लेकिन यह ज़रूरी नहीं है कि सभी लक्षण बच्चों में हों, सब में अलग-अलग लक्ष्ण हो सकते हैं। आम तौर इसका बुख़ार एक सप्ताह से दस दिन तक होता है।

डॉक्टर अग्रवाल बताते हैं कि सर्दियों में जिन बच्चों को बुख़ार हो; बुख़ार के साथ सांस प्रणाली की समस्याएं हों; बुख़ार के साथ सीने में जकड़न की वजह से सांस लेने में समस्या हो; निमोनिया हो; 100 से ज़्यादा बुख़ार हो, तीव्र खांसी या ख़राब गला हो तो उन बच्चों में फ्लू होने की संभावना होती ही है। 95 प्रतिशत मामलों में 39 डिग्री सेल्सियस ज़्यादा बुख़ार होता है और 77 प्रतिशत मामलों में खांसी और बहती नाक होतती है। इलाज अक्सर लक्ष्णों का ही किया जाता है।

डॉक्टर की सलाह अनुसार पैसासीटामोल की खुराक 48 घंटे तक देते रहना चाहिए और बच्चे को ज़्यादा से ज़्यादा आराम करने, तरल आहार लेने, ख़ास तौर पर गर्म तरल आहार लेने के लिए प्रेरित करना चाहिए। एक बात गौर करने वाली है कि फ्लू वायरस की वजह से होता है, उसमें एंटीबायटिक का कोई फायदा नहीं होता, बल्कि एंटीबायटिक लेने से पेट ख़राब और दस्त हो सकते हैं।

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