ब्लैक फंगस के मरीज की किडनी और फेफड़े की सर्जरी कर बचाई जान

नई दिल्ली,
गाजियाबाद निवासी 45 वर्षीय रंजीत कुमार सिंह को अगस्त महीने में ब्लैक फंगस की शिकायत के साथ गंगाराम अस्पताल में भर्ती किया गया था। गंभीर म्यूकोरमायकोसिस के शिकार मरी रंजीत को सांस लेने में कठिनाई हो रही थी, मरीज को लगातार थूक में खून और तीव्र बुखार की शिकायत थी। जांच में पाया गया कि ब्लैक फंगस मरीज के दाएं गुर्दे में फैल गया है, फेफड़े और किडनी के दोनों हिस्से भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। मरीज का जीवन बचाने के लिए तुरंत लाइफ सेविंग सर्जरी की जरूरत थी।
अस्पताल पल्मोेनोलॉजी विभाग के श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ. उज्ज्वल पारख ने बताया कि क्योंकि म्यूकोरमायकोसिस या ब्लैक फंगस तेजी से फैलने वाली बीमारी है और इससे अन्य अंगों को भी नुकसान हो सकता है। इसलिए आपातकालीन जीवन रक्षक ऑपरेशन का विकल्प चुना गया, जीवन रक्षक प्रक्रिया के रूप में 6 घंटे तक चली जटिल सर्जरी के बाद तुरंत मरीज के बाएं फेफड़े का एक हिस्सा और पूरी दाहिनी किडनी को सफलतापूर्वक अलग कर मरीज को बचा लिया।
सर्जरी के लिए तुरंत डॉक्टरों की दो टीमें गठित की गयी, जिसमें डॉ. सब्यसाची बल (थोरैसिक सर्जन, सर गंगा राम अस्पताल) जिन्होंने संक्रमित फेफड़े को सफलतापूर्वक अलग किया और डॉ. मनु गुप्ता (सीनियर यूरोलॉजिस्ट, सर गंगा राम अस्पताल) जिन्होंने पूरी दाहिनी किडनी को ऑपरेशन द्वारा सफलतापूर्वक अलग किया।
यूरोलॉजी विभाग के सलाहकार डॉ. मनु गुप्ता के अनुसार यह एक जटिल मामला था जिसमें म्यूकोर फेफड़े और गुर्दे के हिस्से में फैल गया। इस मामले में मरीज को बचाने के लिए समय बहुत ही कम था क्योंकि अन्य अंग प्रभावित हो रहे थे। गुर्दा काम नहीं कर रहा था। सर्जरी के दौरान यह पाया गया कि फंगस लगभग लीवर और बड़ी आंत में तेजी से फैल रहा है। इस प्रकार बड़ी कठिनाई के साथ, निकटवर्ती अंगों को क्षति पहुँचाए बिना गुर्दा को हटाया जा सकता था। इस मामले को चिकित्सा साहित्य में कोविड संक्रमण के बाद ब्लैक फंगस के गंभीर रूप से शिकार दुनिया में ऐसा पहला मामला है।
डॉ. उज्ज्वल पारख ने आगे कहा कि सर्जरी के बाद मरीज अब ठीक हो गया है, और एंटीफंगल दवाई चल रही है। लंबे समय तक एंटी फंगल थेरेपी के एक महीने बाद मरीज को छुट्टी दे दी गई है। मरीज बहुत अच्छा रिकवर कर रहा है और अब उसने अपना कार्यालय वापस ज्वाइन कर लिया है।

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