भगवान ने दिया उसे ऐसा जीवन, न पैर अलग न पेशाब की जगह

नई दिल्ली,
18 महीने की एक बच्ची को भगवान ने धरती पर भेज तो दिया लेकिन उसके न तो दोनों पांव ही अलग थे और न ही पेशाब करने की जगह, दोनों जांघ जुड़ी होने के कारण बच्ची खड़ी भी नहीं हो पाती थी। बच्ची एक एक बहुत ही दुर्लम बीमारी मरमेड सिंड्रोम (Mermaid Syndrome) से पीड़ित थी, छह लाख बच्चों में किसी एक नवजात को इस तरह की जन्मजात बीमारी होती है। कानपुर निवासी इस बच्ची को इलाज के लिए दिल्ली लाया गया, बच्ची की दो चरण की सर्जरी हो चुकी है, जबकि जेनेटाइल (Genital Organ )या जनांग विकसित करने के लिए अभी कई चरण की सर्जरी की जानी बाकी है। अच्छी बात यह है कि इस तरह की बीमारी से पीड़ित अधिकांश बच्चों की जन्म के कुछ ही घंटों के भीतर मौत हो जाती है, लेकिन कानपुर की यह बच्ची क्योंकि 18 महीने की है, इसलिए चिकित्सकों ने बच्ची को सामान्य जीवन देने की हर संभव कोशिश की।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल (Max Super Specialty Hospital) में कानपुर की एक बच्ची को सर्जरी के लिए लाया गया। बच्ची मरमेड सिंड्रोम बीमारी से ग्रसित थी, बच्ची के कमर के नीचे का हिस्सा दोनों पैर और जांघ जुड़े हुए थे इसलिए उसका शरीर मछली तरह दिखता था, लेकिन दिल्ली के डॉक्टरों ने इस अद्भत और दुर्लभ मामले की सफल सर्जरी कर बच्चे को अपने पैरों पर खड़ा करने लायक बनाया। हालांकि बच्ची को पूरी तरह से ठीक होने में अभी कई चरण की सर्जरी करनी पड़ेगी, फिलहाल बच्चे की दो सर्जरी कर दोनों जांघों को अलग कर दिया गया है। बच्ची की सर्जरी करने वाले मैक्स सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के एनेस्थिेटिक एंड रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी के प्रमुख सलाहकार डॉ. सुंदेश्वर सी सूद ने बताया कि सिरेनोमेलिया यानि जलपरी एक दुर्लभ बीमारी है, जोकि छह लाख में किसी एक बच्चे को जन्मजात होती है, बच्ची की अब तक दो सर्जरी की जा चुकी हैं पहली सर्जरी में दोनों जांघ को सही किया गया, बच्ची की जांघ जुड़ी होने के साथ ही उसे पेट में भी हार्निया भी थे, उन्हें भी ठीक किया गया, दूसरी सर्जरी में पेट से स्किन लेकर जांघ को रिकंस्ट्रक्ट किया गया। डॉ. सूद ने कहा कि यह बहुत ही जटिल सर्जरी थी, अहम चुनौत यह भी कि बच्ची के दोनों पांव जुड़े हुए थे, इसलिए नसों के जरिए खून का प्रवाह करने वाले ब्लड वेसल भी जुड़ी हुईं थीं, नसों के जुड़ाव को ठीक करते हुए पैरों को दोबारा बनाना था, दोनों ही सर्जरी में पांच से छह घंटे का समय लगा। हालांकि प्रारंभिक दो सर्जरी के बाद बच्ची ने अपने पैरों पर खड़ा होना शुरू कर दिया है। तीसरे चरण की सर्जरी में बच्ची के जेनेटल या जनांगों की गड़बड़ी को सही किया जाएगा। जांघ जुड़ी होने के कारण बच्ची का यूनिरल पार्ट (Urinal Part) पीछे की तरफ खिसक गया है इसलिए उसका यूरीन पर नियंत्रण भी नहीं है, तीसरे चरण की सर्जरी में जेनेटल पार्ट को सही किया जाएगा।
डॉ. सूद ने कहा कि हालांकि बच्चे का स्टूल या मल पर पूरा नियंत्रण है लेकिन पेशाब की जगह ठीक होने में समय लगेगा जिसमें अभी करेक्टिव सर्जरी की जाएगी, फिलहाल बच्ची को यूरिन या पेशाब के लिए कोलेस्टमी का प्रयोग किया जा रहा है। चिकित्सकों को उम्मीद है कि दुर्लभ मरमेड बीमारी को मात देकर बच्ची नये सिरे सामान्य जीवन जी सकेगी। बच्ची की सेहत को लेकर माता पिता काफी सजग हैं और नियमित तौर पर ओपीडी में इलाज के लिए अस्पताल पहुंचते हैं, जिसे चिकित्सकों ने एक अच्छी बात कहा है।

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