भारत के बाद अन्य दक्षिण एशियाई देशों ने भी आईपीवी की आंशिक खुराक अपनाई: डब्ल्यूएचओ

नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने आज कहा कि इंजेक्टेबल इनऐक्टिवेटेड पोलियोे वैक्सीन (आईपीवी) पोलियो टीके की वैश्विक कमी के बीच दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्र के देशों ने अब आईपीवी की आंशिक खुराक को चुना है ताकि इन ‘‘चुनौतीपूर्ण
स्थितियों’’ से निपटा जा सके । आईपीवी की आंशिक खुराक को सबसे पहले भारत ने अपनाया था ।

क्षेत्र में पोलियो के खतरनाक विषाणु का आखिरी मामला सामने आने के छह साल पूरे होेने पर डब्ल्यूएचओ के दक्षिण-पूर्व एशिया मामलों की क्षेत्रीय निदेशक पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि आईपीवी की आंशिक खुराक की शुरुआत करके ये देश न सिर्फ टीके की लागत बचा रहे हैं, बल्कि पोलियो के खिलाफ बच्चों को मिलने वाले संरक्षण पर समझौता भी नहीं कर रहे । सिंह ने कहा, ‘‘दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र (एसईएआर) में खतरनाक पोलियो विषाणु के अंतिम मामले के छह साल पूरे होने पर डब्ल्यूएचओ क्षेत्र के देशों की सराहना करता है कि उन्होंने इस विषाणु से अपने बच्चों की रक्षा का सतत प्रयास किया और चुनौतीपूर्ण स्थितियों के बावजूद क्षेत्र के पोलियो-मुक्त होने का दर्जा बरकरार रखने की कोशिश की है ।

उन्होंने कहा, ‘‘इंजेक्टेबल आईपीवी की वैश्विक कमी के बीच डब्ल्यूएचओ एसईएआर के देश आईपीवी की आंशिक खुराकों का इस्तेमाल कर रहे हैं. आईपीवी साक्ष्य आधारित टीका है जो न केवल सभी प्रकार के पोलियो विषाणुओं से बच्चों की रक्षा सुनिश्चित करता है, बल्कि टीके की बचत में भी मदद करता है । इस कदम से आने वाले सालों में वैश्विक तौर पर टीके की आपूर्ति पर सकारात्मक प्रभाव पडेगा ।’’ डब्ल्यूएचओ ने कहा कि भारत आठ राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 2016 की शुरुआत में बाल टीकाकरण कार्यक्रम में आईपीवी की आंशिक खुराक देने की शुरुआत करने वाला दुनिया का पहला देश है ।

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