भारत बायोटेक ने तीसरे चरण का सफल परीक्षण किया

नई दिल्ली,
भारत बायोटेक की देसी कोवैक्सिन की गुणवत्ता और तीसरे चरण के परीक्षण संबंधी सभी भ्रम बुधवार को दूर हो गया। हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने कोवैक्सिन के तीसरे चरण के सफल परीक्षण परिणाम को जारी करते हुए कहा कि वैक्सीन सभी चरण के परीक्षण में बेहतर पाई गई है साथ ही वैक्सीन की गुणवत्ता भी सर्वोत्तम स्तर की है।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और भारत बायोटेक द्वारा किए गए परीक्षण से प्राप्त परिणाम का स्वतंत्र डाटा सुरक्षा और मॉनिटरिंग कमेटी द्वारा आंकलन किया गया। आईसीएमआर और भारत बायोटेक के तीसरे चरण के परीक्षण को नवंबर 2020 में शुरू किया गया था, क्लीनिकल ट्रायल में देशभर की 21 साइट्स से 25800 प्रतिभागियों को शामिल किया गया। प्राप्त परिणाम को डीजीसीआई के मानकों पर स्वीकृत और प्रमाणित प्रोटोकॉल द्वारा आंकलन किया गया। जिसमें उपलब्ध सभी वैश्विक वैक्सीन के मुकाबले कोविड19 के वायरस एसओआरसीओवीटी के प्रति 81 फीसदी प्रभावकारिता देखी गई। आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने कहा कि आठ महीने के बेहद कम समय में वैक्सीन ने गुणवत्ता के सभी मानकों को हासिल कर लिया है, जिसे भारत के आत्मनिर्भर अभियान के लिए एक उपलब्धि माना जा रहा है, जिससे भारत विश्वपटल पर वैक्सीन निर्माण में अपनी छवि और मजबूत करेगा।
मालूम हो कि कोवैक्सिन भारत की ऐसी पहली वैक्सीन है, जिसका पूरी तरह से भारत में ही निर्माण किया गया है। वैक्सीन के जरूरी सभी परीक्षण भी भारत में ही किए गए हैं। मार्च 2020 में आईसीएमआर के पूणे स्थित नेशरल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में जब कोविड के कारक एसएआरएसओवीटू वायरस की पहचान की गई, इसके बाद से ही आईसीएमआर पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड के साथ मिलकर वैक्सीन बनाने के काम में जुट गया।

कैसे किया गया परीक्षण
आईसीएमआर एनआईवी और भारत बायोटेक ने इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोपी और इंनविट्रो तकनीकि आधारित वैक्सीन विकसित की। वैक्सीन के जानवरों और हैमस्टर पर किए गए प्री क्लीनिकल परीक्षण के परिणाम सुरक्षा और इम्यूनोजेनिसिटी के आधार पर सफल देखे गए। इसके बाद बंदरों की एक प्रजाति रिसेस मिसाक्योसिस पर वैक्सीन की सुरक्षा और गुणवत्ता को जांचा गया। कोवैक्सिन के पहले और दूसरे चरण का परीक्षण 755 प्रतिभागियों में वैक्सीनेशन के 56 और 104 वें दिन पर सिरोकंवर्जन दर 98.3 प्रतिशत और 81.1 प्रतिशत देखी गई। कोवैक्सिन को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा स्वीकृत वीरो सेल प्लेटफार्म पर तैयार किया गया, जिसका विश्वभर में सबसे प्रमाणित और सुरक्षित ट्रैक रिकार्ड माना जाता है। कोवैक्सिन के जरिए एसएआर-सीओवीटू के नये यूके वैरिएंट स्ट्रेन को भी न्यूट्रलाइज किया जा सकता है। आईसीएमआर के वैज्ञानिक डॉ. समीरन पांडा ने बताया कि कोवैक्सिन के सभी चरण के सफल परिणाम से यह साबित हो गया कि कोरोना महामारी के इस दौरान में भारत के पास वायरस से लड़ने के लिए एक अचूक हथियार है जो हमें वायरस के खिलाफ जंग में जीत हासिल कराएगा। अभी केवल इस बात की जरूरत है कि लोग कोरोना का वैक्सीन अवश्य लगवाएं जिससे वायरस के ट्रांसमिशन या चेन को रोका जा सके।

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