नई दिल्ली: आध्यात्म और विज्ञान का शुरू से ही छत्तीस का आंकड़ा रहा है, विज्ञान अध्यात्म को तर्क की कसौटी पर परखना चाहता है, जबकि सदियों से लोग इस पर आस्था की दृष्टि से विश्वास करते हैं, लेकिन अब वैज्ञानिक और चिकित्सक भी अध्यात्म की शक्ति को स्वीकार करने लगे हैं, जिसपर कई शोध हुए और कई शोध जारी हैं। कुछ दिन पहले ही वैज्ञानिकों ने स्वीकार किया कि आत्मा अजर अमर है या बात सत्य हैं, जिसे शोध कर प्रमाणित किया जा चुका है।
ओम उच्चारण पॉजिटिव तरंगे पैदा करता है यह भी प्रमाणित हो चुका है, ताजा शोध महामृत्युंजय जाप को लेकर है। दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में जाप का असर दिमागी बीमारी या चोट से जूझ रहे मरीजों पर जानने के लिए 40 मरीजों को शोध के अंर्तगत पंजीकृत किया है। शोध के प्रारंभिक नतीजे चौंकाने वाले हैं।
श्री लाल बहादुर शास्त्री विद्यापीठ संस्थान दिल्ली के डिपार्टमेंट हेड डॉ. बिहारी लाल शर्मा और आरएमएल के न्यूरोसर्जन डॉ. अजय चौधरी के नेतृत्व में किए गए शोध के परिणाम अंतिम चरण में हैं। बीते तीन साल से जारी शोध में चालीस मरीजों को पंजीकृत किया गया, जो दिमाग की एसटीबीआई इंजूरी के शिकार थे, दो भागों में मरीजों को बांटा गया, पहले ग्रुप में चालीस मरीजों को नौ दिन तक नियमित महामृत्युंजय का जाप कराया गया, जबकि दूसरे ग्रुप को साधारण न्यूरोसर्जरी की गाइडलाइन के अनुसार इलाज दिया गया। इस दौरान मरीज के खून के साइटोकाइन सैंपल को संरक्षित किया गया। डॉ. अजय ने बताया कि शोध के परिणाम पॉजिटिव हैं, भविष्य में दिमागी बीमारियों के इलाज में महामृत्युंजय जाप को प्रमुखता से शामिल किया जा सकता है