नई दिल्ली,
बीते कुछ दिनों से महावारी स्वच्छता को लेकर कई जारूगता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। पैडमैन जैसे फिल्मों की वजह से ग्रामीण क्षेत्र में भी जागरूकता आई है। लेकिन महावारी स्वच्छता के अलग भी इन दिनों की कई परेशानियां होती हैं, जिसके बारे में अब भी महिलाआें को अधिक जानकारी नहीं है। पीसीओडी(पॉलिसिस्टिक ओवेरियन डिसीस) के अलावा इंडोमीट्रिओसिस भी हो सकता है। जिसमें महावारी के दौरान और बाद में पेट में असहनीय दर्द होता है। बचपन से महिलाओं को यह बताया जाता है कि महावारी के पहले पेट के निचले हिस्से में दर्द होता ही है, इसलिए अधिकांश महिलाएं इस तेज दर्द को भी कभी गंभीरता से नहीं लेती।
मार्च महीने को इंडोमीट्रिओसिस जागरूकता माह के रूप में मनाया जा रहा है। इंडोमीट्रिओसिस सोसाइटी के आंकड़ों के अनुसार लगभग 25 मिलियन भारतीय महिलाएं इस बीमारी की शिकार पाई जा रही हैं। बावजूद इसके आज भी अधिकांश महिलाएं इस बीमारी के प्रति अधिक जागरूक नहीं है। मेडस्केप इंडिया अभियान के तहत बीते 17 साल से स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम कर रहीं रेडियोलॉजिस्ट डॉ. सुनीता दुबे ने बताया कि अपने मिलियन स्माइल प्रोजेक्ट के तहत हमने देशभर की छह हजार महिलाओं का स्वास्थ्य जांच किया। सेहत के मामले में शहरी महिलाएं भी अधिक जागरूक नहीं है। खून की कमी, अनियमित महावारी के साथ ही पीसीओडी और इंडोमीट्रिओसिस की समस्या बढ़ी है। एक अध्ययन के अनुसार 25 से तीस प्रतिशत महिलाओं को इंडोमीट्रिओसिस की वजह से गर्भधारण करने में परेशानी हुई। हालांकि कुछ दवाओं और लैप्रोस्कोपिक सर्जरी से इंडोमीट्रिओसिस होने के बाद भी गर्भधारण किया जा सकता है, जिसके लिए सही समय पर इलाज किया जाना जरूरी है। महावारी के समय होने वाले असहनीय दर्द को कम करने के लिए एस्ट्रोयाड दवाएं नहीं लेनी चाहिए, इससे हार्मोन अनियंत्रित हो जाते हैं और बाद में गर्भधारण में दिक्कत हो सकती है। लैप्रोस्क्रोपी सर्जरी के जरिए सुरक्षित तरीके से गर्भाश्य के पास जमे अतिरिक्त टिश्यू को हटाया जाता है, जो दवाओं से अधिक सुरक्षित है। सही समय पर जांच होने पर इलाज की सही दिशा भी तय की जा सकती है।
क्या है इंडोमीट्रियोसिस
इंडोमीट्रियोसिस एक क्रानिक बीमारी है जो महावारी के साथ साथ बढ़ती है। बीमारी में पेट के नीचले हिस्से में महावारी के आने से एक से दो हफ्ते पहले ही असहनीय दर्द शुरू होने लगता है। बीमारी में इंडोमीट्रियल टिश्यू, जो आमतौर पर गर्भाश्य की अंदरूनी परत में पाए जाते हैं, इन टिश्यू का काम गर्भधारण के समय गर्भ को पोषण देना होता है, लेकिन गर्भधारण न होने पर यह टिश्यू टूटकर कर महावारी के दौरान गर्भाश्य बाहर जमने लगते है, इन्हीं जमे हुए टिश्यू की वजह महावरी के दौरान दर्द बढ़ता है और कई बार यह धक्के के रूप में निकलते भी हैं।
क्या है इंडोमीट्रिओसिस का इलाज
अमूमन दर्द से छुटकारा पाने के लिए महिलाओं को दर्दनिवारक दवाएं लेने से मना किया जाता है, जिससे अस्थाई रूप से महावारी रूक भी जाती है। लैप्रोस्कोपी की मदद से टिश्यू की अतिरिक्त परत को हटा दिया जाता है, जिससे दर्द कम हो जाता है और महिला गर्भ भी धारण कर सकती है।