नई दिल्ली,
महावारी के समय होने वाले अधिक रक्तस्त्राव और दर्द को अधिकांश महिलाएं गंभीरता से नहीं लेती हैं। मुंबई के मदरहुड अस्पताल एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जिसमें महिला का पेट बाहर से 24 हफ्ते के गर्भधारण जैसा लग रहा था। अल्ट्रासाउंड जांच में पता चला कि गर्भाश्य में 12 सेमी का ट्यूमर है, महिला की बच्चेदानी को बचाते हुए गर्भाश्य को सर्जरी कर निकाला दिया गया।
38 वर्षीय टीना को जुंबा क्लास के दौरान एहसास हुआ कि उसे तेज रक्तस्त्राव हो रहा है, जिसके साथ उसे दर्द की भी शिकायत बनी हुई है। दो बच्चों की मां टीना ने तुरंत महिला चिकित्सक को दिखाया, टीना के पेट का आकार 24 हफ्ते के गर्भधारण जितना बढ़ चुका था। चिकित्सकों ने उसे मायोमैक्टमी (फ्राइब्रायड सर्जरी कर निकालना) और हिस्टेक्टमी (गर्भाश्य को सर्जरी कर निकालना) का विकल्प दिया, टीना दोनों में से किसी भी विकल्प को नहीं चुनना चाहती थी, और वह बिना कोई निर्णय लिए अस्पताल से वापस आ गई। एक हफ्ते बाद वह फिर रक्तस्त्राव न रूकने की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंची, जिसके बाद उसका इलाज शुरू किया गया। टीना का इलाज करने वाली नवीं मुंबई खारगढ़ मदरहुड अस्पताल की डॉ. सुरभि सिद्धार्थ ने बताया कि जांच में पता चला कि ट्यूमर ने गर्भाश्य के एक बड़े हिस्से को घेरा हुआ है और यह गर्भाश्य के अंदरूनी हिस्से में है तो कैविटी का बढ़ने की भी संभावना बनी हुई है, इलाज के दौरान टीना की बच्चेदानी बचाते हुए हिस्टेक्टमी कर गर्भाश्य को पूरी तरह निकाल दिया गया और उसे नियमित आहार में हाई प्रोटीन डायट लेने की सलाह दी गई।
डॉ. सुरभि ने बताया कि बेहद छोटे आकार के फायब्रायड अकसर महिलाओं को होते ही है, इसका आकार सेब की बीज से लेकर तरबूज के आकार तक के हो सकते हैं दरअसल हार्मोन्य में बदलाव के कारण फायब्रायड एक या कई गुच्छों में गर्भाश्य के भीतरी या बाहरी हिस्से में बन जाते हैं। कुछ बेहद छोटे फायब्रायड बिना इलाज के ठीक भी हो जाते हैं, बावजूद इसके तीस साल की उम्र के बाद महिलाओं को नियमित अल्ट्रासाउंड जांच कराते रहना चाहिए, महावारी के दिनों में अधिक ब्लीडिंग, दर्द, बार-बार पेशाब का आना और पेट में सूजन इसकी पहचान हो सकती है। हालांकि चिकित्सक इस बात के लिए आश्वस्त नहीं हैं कि ओरल गर्भनिरोधक दवाओं का सेवन भी इसकी वजह हो सकता है।