सुगंधित पान मसाला भी नहीं है सेहत के लिए सुरक्षित

नई दिल्ली: सुगंधित पान मसाला भी सेहत के लिए खतरनाक है। एक अध्ययन में इस का खुलासा किया है कि केवल सुगंधित मसाला ही नहीं माउथ फ्रेशनर में भी ऐसे विषाक्त तत्व पाए जाते हैं जो फेफड़े सहित लिवर और किडनी को नुकसान पहुंचाते हैं।
आईजेएमआर (इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च) में छपे लेख के अनुसार एक महीने के दौरान उठाए गए धुंआ रहित तंबाकू के पाउच में केवल तंबाकू से होने वाली खतरों की सही तरीके से जानकारी नहीं दी गई थी । 33 ब्रांड के तंबाकू उत्पाद में 23 ऐसे उत्पाद रखे गए, जो खुशबू और उच्च क्वालिटी की चीजें युक्त मसाला बेचने का दावा कर रहे थे। लैबोरेटरी में की गई जांच में पाया गया कि सुगंधित मसाला और जर्दा भी सेहत के लिए सामान्य तंबाकू की तरह ही हानिकारक है।
इस स्टडी में 81.8 प्रतिशत उत्पाद में तंबाकू के सेवन से होने वाले खतरों की चेतावनी अंग्रेजी भाषा में ही दी गई थी, जबकि केवल 27 प्रतिशत उत्पाद में पाउच में मौजूद हानिकारक तत्वों की जानकारी दी गई। पान मसाला के नमूनों में सैकरीन की मात्रा भी खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम के अंतर्गन स्वीकृत की गई मात्रा से 1.6 से 3.9 गुना अधिक देखी गई।
किसमें क्या-क्या
प्रीमियम तंबाकू- इसमें उपस्थित निकोटीन तंत्रिका तंत्र संबंधी रिसेप्टर को निष्क्रिय करता है। जिसके प्रभाव से रक्तचाप कम होना, मुंह का कैंसर और कोरोनरी धमनी रोग देखा गया है।
पान-हाइड्रॉक्सीचेबीकाल युक्त सक्रिय विषाक्त जैव पद्धार्थ के कारण सुपारी खाने से मुंह में उपस्थित सबम्यूथ्स फाइब्रोसिस या तंतु नष्ट होते हैं। जिससे मुंह का ल्यूकोप्लाकिया और कैंसर होता है।
कत्था- कैटेचिन और इपीकैटचिन नाम मौजूद एसिड अतिसार या खून की कमी बढ़ाते हैं।
बुझा चूना- कैल्शियम हाइड्राक्साइड सांस लेने में परेशानी और आंतरिक रक्तदवाब का कारण बन सकता है।
केसर-इरोसेटिन और पाइक्रोक्रोसिन नामक न्यूक्लिक एसिड युक्त केसर को हालांकि कैंसर रोधी माना गया है, जिसकी प्रमुख उत्पादों में यह बेहद कम मात्रा में देखा गया।

क्या हैं नियम
धुंआ रहित तंबाकू उत्पादों में हानिकारक रसायन की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए वर्ष 1955 में खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम में अलग से वर्गीकृत किया गया। जिसके अनुसार प्रति 100 ग्राम तंबाकू उत्पाद में सौंफ, इलायची, लौंग, पुदीना और गुलाब की पखुड़ी का निर्धारित मात्रा में इस्तेमाल बताया गया। लेकिन उत्पाद कंपनियां केवल खुशबू के लिए रसायन का इस्तेमाल करती है, जबकि इसके एवज में निकोटीन और सुपारी का अनुपात अधिक रखती हैं। जबकि कुछ उत्पाद में सिल्वर या चांदी की मात्रा भी अधिक देखी गई। जिससे किडनी संबंधी परेशानियां होती हैं।

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