स्वास्थ्य मंत्री का पदभार संभाला मनसुख मंडाविया ने, चुनौतियों से पार पाएंगे ?

नई दिल्ली।
गुरुवार की सुबह निर्माण भवन में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री के रूप में मनसुख मंडाविया ने पदभार संभाला। गुजरात से आने वाले मनसुख के पास केमिकल और फर्टिलाइजर मंत्रालय भी रहेगा। स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने उन्हें गुलदस्ता देकर अगवानी की। उसके बाद कई दूसरे वरिष्ठ विभागीय अधिकारियों ने उन्हें शुभकामनाएं दी। डॉ. भारती प्रवीण पवार ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला।
पदभार ग्रहण के बाद मीडिया से बाद करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि प्रधानमंत्री ने मुझे स्वास्थ्य मंत्रालय की ज़िम्मेदारी दी है। मैं स्वास्थ्य मंत्री के रूप में प्रधानमंत्री की अपेक्षा के अनुरूप काम करने की कोशिश करूंगा।
कहा जा रहा है कि इनके सामने अन्य विभागीय समस्याओं के अलावा सबसे अधिक चुनौती कोरोना महामारी को नियंत्रित करना और विभाग के सकारात्मक काम को आगे ले जाना है। इसमें ही पूर्ववर्ती मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन नाकाम रहे। मंत्रालय में सरकारी फाइलों की आमद रफ्त में व्यस्त तो रहे, मगर स्वास्थ्य मंत्रालय जो सकारात्मक काम करता रहा, उसकी जानकारी आम जनता तक नहीं पहुंचा पाए। नए स्वास्थ्य मंत्री के सामने देश में कोरोना वैक्सीन की नियमित आपूर्ति कराना सबसे अहम जिम्मेदारी होगी। कई राज्यों से वैक्सीन कमी की खबरें लगातार आ रही है। राजधानी दिल्ली में भी कई वैक्सीनेशन सेंटर केवल इसलिए बंद कर दिए गए हैं, क्योंकि यहां इसकी उपलब्धता नहीं है।
2014 में, मनसुख मंडाविया भाजपा के मेगा सदस्यता अभियान के प्रभारी भी बने, जिसके दौरान एक करोड़ लोग पार्टी में शामिल हुए। अगले वर्ष 2015 में, उन्हें संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया, जहां उन्होंने ‘सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा’ पर भाषण दिया। केंद्रीय मंत्री के रूप में, उन्हें सस्ती दरों पर 850 से अधिक दवाएं उपलब्ध कराने और हार्ट स्टेंट और घुटने के प्रत्यारोपण की लागत को कम करने के लिए 5,100 से अधिक जन औषधि स्टोर स्थापित करने का श्रेय दिया जाता है। उन्हें यूनिसेफ द्वारा महिलाओं के मासिक धर्म स्वच्छता में योगदान के लिए जन औषधि केंद्रों की श्रृंखला का उपयोग करके ऑक्सो-बायोडिग्रेडेबल तकनीक से बने 10 करोड़ सैनिटरी पैड को मामूली कीमत पर बेचने के लिए सम्मानित किया गया था।

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