हिंदूराव अस्पताल के डॉक्टर चौथे दिन भी भूख हड़ताल पर

नई दिल्ली,
जून महीने से वेतन न मिलने के कारण एमसीडी के हिंदूराव अस्पताल के डॉक्टर चौथे दिन भी भूख हड़ताल पर रहे, इससे पहले 22 दिन विरोध प्रदर्शन करने के बाद भी चिकित्सकों को पैसा नहीं दिया गया। वेतन का भुगतान करने की जगह दिल्ली सरकार ने अस्पताल को कोरोना श्रेणी से हटा दिया है, लेकिन अब यहां सामान्य बीमारी का इलाज कराने के लिए आने वाले चिकित्सकों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। रविवार को उत्तरी दिल्ली के महापौर जयप्रकाश ने भूख हड़ताल पर बैठे चिकित्सकों से मुलाकात की।
यूसीएमएस के चिकित्सक डॉ. संदीप ने बताया कि बिना वेतन के चिकित्सक किसी भी सूरत में काम पर नहीं लौटेगें, आर्थिक तंगी के कारण चिकित्सकों को कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मालूम हो कि दिल्ली सरकार से वर्तमान वित्त वर्ष का पैसा जारी न होने के कारण जून महीने से चिकित्सकों को वेतन नहीं मिला है। हिंदूराव अस्पताल के चिकित्सकों को वेतन न मिलने का मामला कोर्ट भी पहुंच गया है। इस बावत जारी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कोरोना योद्धाओं को वेतन न मिलने को गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने कड़ा रूख अपनाते हुए कहा कि हम चिकित्सकों को कोरोना योद्धा कहते हैं तो उन्हें वेतन क्यों नहीं दे सकते? वहीं दिल्ली सरकार पूरे मामले पर राजनीति कर रही है, स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन ने कहा कि एमसीडी यदि अस्पताल नही चला पा रही तो उसे दिल्ली सरकार को सौंप दे वह समय से सभी को वेतन देगी।
कोरोना के बढ़ते मरीजों को देखते हुए जून महीने में उत्तरी दिल्ली नगर निगम के हिंदूराव अस्पताल को कोरोना के लिए समर्पित किया गया था, जिसके विरोध में चिकित्सक सात अक्टूबर से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी क्रम में अस्पताल के रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडीए) ने उपराज्यपाल को पत्र लिखकर कोरोना महामारी एक्ट का हवाला देते हुए प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। एमसीडी के अंतर्गत आने वाले पांच प्रमुख अस्पताल (राजनबाबू टीबी अस्पताल, महर्षि दयानंद संक्रामक अस्पताल, कस्तुरबा गांधी महिला चिकित्सालय, गिरिधारी लाल अस्पताल और बाड़ा हिंदूराव अस्पाल) सहित डिस्पेंसरी व नर्सिंग होम सहित कुल 200 चिकित्सा केन्द्र आते हैं।

दिल्ली सरकार ने नहीं जारी किया पैसा
दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने जवाब में कहा कि कहा कि कारपोरेशन के पास चिकित्सकों का वेतन देने के लिए पैसे नहीं है, दिल्ली सरकार ने लंबे समय से एमसीडी का पर्याप्त फंड जारी नहीं किया है। जिसकी वजह से चिकित्सकों का वेतन नहीं दिया जा रहा है। जयप्रकाश ने कहा कि दिल्ली सरकार पर वित्त वर्ष 2020-21 का 162 रुपए बकाया है, जिसमें से केवल 27 करोड़ रुपए जारी करने की अनुमति दी गई है, कारपोरेशन के खाते में अभी जारी धनराशि भी नहीं पहुंची है, ऐसे में हम चिकित्सकों को वेतन कैसे दे सकते हैं? इस पर दिल्ली सरकार की तरफ से अतिरिक्त सॉलीस्टर जनरल संजय जैन ने दलील दी कि सात जुलाई को दाखिल उनकी रिपोर्ट में अनेक विभागों द्वारा निगम को राशि जारी करने का उल्लेख किया गया है। इसपर कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम को जवाब देने को कहा है।

बीस मरीज अन्य अस्पताल में किए गए शिफ्ट
सांकेतिक हड़ताल के बाद चिकित्सकों का रूख देखते हुए हिंदूराव अस्पताल में भर्ती करोना के बीस मरीजों को दिल्ली सरकार के अन्य अस्पताल में रेफर कर दिया गय। जिससे उन्हें बेहतर इलाज मिल सके। हालांकि मरीजों को शिफ्ट करने के मामले में भी अस्पताल प्रबंधन ने अलग ही बयान जारी किया, बताया गया कि अस्पताल को अब सामान्य मरीजों के लिए शुरू किया जा रहा है, यहां केवल 20 ही मरीज भर्ती हैं, इसलिए इन्हें लोकनायक अस्पताल भेज दिया गया है। मालूम हो कि इससे पहले जून महीने में कस्तुरबा गांधी अस्पताल के चिकित्सकों ने बीस दिन विरोध प्रदर्शन किया था, जिसके बाद उन्हें वेतन दिया गया, अभी फिर जून महीने से कस्तुरबा गांधी और हिंदू राव अस्पताल के चिकित्सकों का वेतन रोक दिया गया है। मंगलवार को चिकित्सा अधीक्षक को भेजे गए एक पत्र में आरडीए ने वेतन न मिलने पर बुधवार से पूरी तरह काम बंद करने की बात कही है।

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