100 साल के पार भी हुई गंभीर सर्जरी

100 साल के पार जीने के लिए अब बीमारियां बाधा नहीं है। दिल की गंभीर बीमारी हो या फिर घुटनों का दर्द, चिकित्सा जगत की आधुनिक तकनीक सतायु पार स्वस्थ्य जीने का हौंसला दे रही है। दिल्ली में बीते कुछ सालों में ऐसी उम्र के जटिल व सफल सर्जरी के केस सामने आए हैं, जिन्होंने बुढापे में बीमारियों के मिथक को तोड़ा है।
जनकपुरी निवासी 102 वर्षीय मोतीलाल बंसल का सफल कूल्हा प्रत्यारोपण किया गया। आर्थोपेडिक्स सर्जरी डॉ. राजू वैश्य ने बताया कि मरीज को पांच साल से कूल्हे की हड्डी में दर्द की समस्या थी। जबकि चलना फिरना दूभर हो गया तो सर्जरी की गई। एक अन्य मामले में रोहिणी निवासी 106 वर्षीय मरीज रतन का वाल्व प्रत्यारोपण किया गया। सर्जरी करने वाले मैक्स अस्पताल के कार्डियक सर्जन डॉ. केएस राठौर ने बताया कि वाल्व फटने की वजह से अमाश्य तक खून का रिसाव हो रहा था, इमरजेंसी में लाए मरीज को एक घंटे के अंदर सर्जरी हुई, जिसमें अमाश्य के जरिए वाल्व प्रत्यारोपित किया गया। दो दिन पहले मेट्रो अस्पताल में 104 वर्षीय हरिसिंह की एंजियोप्लास्टी कर धमनियों की रूकावट को दूर किया। डॉ. पुरुषोत्तम लाल के अनुसार इसे सबसे अधिक उम्र में स्टेंटिंग का पहला केस माना जा रहा है। मरीज को छाती में तेज दर्द के साथ अस्पताल में भर्ती किया गया था।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ
अधिक उम्र में किसी भी सर्जरी के लिए मरीज की स्वास्थ्य सबंधी पीछे की जानकारी ली जाती है। 90 साल के बाद सर्जरी के खतरे भी बढ़ जाते हैं। बावजूद इसके जिन मरीजों की अधिक उम्र में सर्जरी हुई उनका रक्तचाप, शुगर, वजन आदि सभी नियंत्रित पाए गए।
डॉ. पुरुषोत्तम लाल

निश्चित रूप से अब इलाज के लिए पहले से कहीं अधिक बेहतर तकनीक उपलब्ध है। कहा जा सकता है कि सही समय पर यदि सेहत का थोड़ा भी ध्यान दिया जाएं तो बुढापे को बिना बीमारी जिया जा सकता है।
डॉ. सीएस यादव, आर्थोपेडिक सर्जन एम्स

अन्य भी कारक
-इलाज पर होने वाले खर्च को बच्चे वहन करने को तैयार
-बुजुर्गो की जिजीविषा भी बढ़ी है साथ ही स्वस्थ्य रहने की इच्छा
-युवाओं की अपेक्षा मार्निक वॉक व व्यायाम पर देते हैं अधिक ध्यान
-सही समय पर दिया सेहत पर ध्यान तो बढ़ापे में हर बीमारी का समाधान

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *