नई दिल्ली: 21 वर्षीय गौरव 11 साल पहले एक सड़क दुर्घटना का शिकार हो गया था। इस हादसे में बच्चे के चाचा की मौके पर ही मौत हो गई जबकि बाद में मां ने अस्पताल में आखिरी सांस ली। इस सदमे की वजह से उसकी मानसिक हालत तो खराब हुई ही, कूल्हे और पैरों से भी गौरव लाचार हो गया। 21 साल दिव्यांग का जीवन बीतने के बाद युवक का इलाज कर फोर्टिस अस्पताल के चिकित्सकों की मदद से वह अपने पैरों पर खड़ा हो पाया।
गौरव का इलाज करने वाले फोर्टिस वसंतकुंज अस्पताल के डॉ. धनंजय गुप्ता ने बताया कि युवक को सक्षम बनाने के लिए आठ सर्जरी करनी पड़ी। हादसा क्योंकि कई साल पहले हुआ था, युवक के कूल्हे में लंबे समय से एक कील भी थी, जिसे शुरुआत में निकाला नहीं गया। गौरव क्योंकि पहले से ही कई तरह की एंटीबायोटिक्स ले रहा था, इसलिए उसे अधिक स्तर की और दवाएं नहीं दी जा सकती थीं। तीन चरण की सर्जरी के बाद गौरव फिर से अपने पैरों पर खड़ा हो सका। इस दौरान उसके कूल्हे की प्लेट को बदला गया और दाहिने पैर की सर्जरी के बाद तीन महीने तक गौरव को फिजियोथेरेपी कराई गई।