5 स्व से ही भारत व भारतीयों का विकास संभव- डॉ. लीना गहाणे

नई दिल्ली 4 जून

समाज के एक-एक बिंदु का विकास ही समिति का प्रथम कर्तव्य है और विकास का आधार है पांच स्व। स्वधर्म, स्वसंस्कृति ,स्वदेश ,स्वाभिमान और स्वाबलंबन। व्यक्ति व समाज जब इन 5 स्व का ध्यान करता है तब ही  देश और समाज आत्मनिर्भर व विकसित होकर प्रगति के मार्ग की ओर बढ़ता है। भारत ने स्वाभिमान, स्वाबलंबन के बल पर ही कोरोना वायरस पर लगातार शोध किए तथा देश और दुनिया को कोरोनावायरस से बचाया। एक भारतीय महिला वैज्ञानिक ने गर्भावस्था के आखिरी दिनों में भी इस रिसर्च और ट्रायल्स में कार्य किया। यह ज़ज्बा दिखाता है महिलाओं के आत्म बल का कि वे मानसिक और बौद्धिक स्तर पर कितनी सशक्त हैं और किसी भी स्थिति में हार नहीं मानती हैं। स्वामी विवेकानंद जी भी कहा था कि भारत रूपी गरुड़ को अगर ऊंचे आसमान में उड़ना है तो उसके दोनों पंख समान रूप से सबल होने चाहिए। एक पंख पुरुष है तो दूसरा पंख महिला। महिला परिवार के साथ साथ समाज को भी नेतृत्व प्रदान करें उसके लिए आवश्यक है कि महिलाओं का मानसिक, बौद्धिक, शारीरिक व आध्यात्मिक विकास हो और यह कार्य विगत 87 वर्षों से विश्व का सबसे बड़ा महिला संगठन राष्ट्र सेविका समिति महिलाओं के लिए कर रही है। उक्त वक्तव्य डॉ. लीना गहाणे ने राष्ट्र सेविका समिति दिल्ली प्रांत के प्रवेश वर्ग के समापन समारोह के अवसर पर कहे।

राष्ट्र सेविका समिति के प्रवेश वर्ग में लगभग 200 बालिकाएं, किशोरियां और महिलाएं15 दिन के प्रशिक्षण शिविर में पहुंचीं। प्रत्येक वर्ष गर्मी में 15 दिवसीय प्रवेश शिक्षा वर्ग का आयोजन किया जाता है ताकि विद्यालय जाने वाली छात्राओं को आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी एवं सामाजिक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाया जा सके। इस वर्ष वर्ग में दिल्ली प्रांत की लगभग 200 बहनें शिक्षार्थी के रूप में आवासीय शिविर में प्रशिक्षण ले रही हैं। वर्ग में प्रशिक्षण के लिए 22 प्रशिक्षित बहनें अपनी सेवाएं दे रही हैं वही वर्ग संबंधी आपूर्ति से लेकर वर्ग स्थल की सुरक्षा, स्वच्छता व चिकित्सा समेत समस्त व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी भी बहनें ही संभाल रही हैं। प्रवेश वर्ग की अवधि के दौरान वर्ग अधिकारी भारती खन्ना व प्रबोध वर्गाधिकारी सुनीता भाटिया भी उपस्थित रहीं।

20 मई को जब शिक्षार्थी बहनें प्रवेश वर्ग में आईं थीं तो उन्हें यह अंदाज भी नहीं था कि यहां उनका शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक विकास एक साथ संभव होगा। पंद्रह दिन शिविर में रहकर उन्होंने अपने देश की महान संस्कृति व देश की महान विभूतियों के बारे में भी जानकारियां प्राप्त की। प्रवेश वर्ग में 14 वर्ष से लेकर  लगभग 55 वर्ष तक आयु सीमा होती है, यहां एक साथ रहकर उन्होंने सामाजिक समरसता,आत्मनिर्भरता,

आत्मरक्षा और आत्म स्वाभिमान जैसे गुण सीखे।

आज के समाज में महिलाओं की जो रक्षात्मक स्थिति है ऐसे वर्गों से उनका सशक्तिकरण होता है, जिसके माध्यम से वे समाज को सही दिशा देने में सक्षम होती हैं, इसके लिए कोई अलग से नीति बनाने की आवश्यकता नहीं है, अपितु  महत्वपूर्ण शिक्षा देकर उन्हें सशक्त करना चाहिए।

राष्ट्र सेविका समिति की दिल्ली प्रान्त कार्यवाहिका व प्रबोध

वर्गाधिकारी श्रीमती सुनीता भाटिया ने कहा कि हमारे शिविर महिलाओं के भीतर छुपी शक्ति और प्रतिभा को जागृत करते हैं। मुख्य अतिथि डॉ रितु श्रीवास्तव ने कहां की राष्ट्र सेविका समिति 8 दशकों से भी अधिक समय से महिलाओं के सशक्तिकरण में अहम भूमिका निभा रही है।

राष्ट्र सेविका समिति भारत का ही नहीं बल्कि विश्व का सबसे बड़ा महिला संगठन है। यह पिछले 87 वर्षों से महिलाओं में मातृत्व, नेतृत्व और कृतित्व के गुण विकसित कर रहा है और साथ ही देश के चतुर्मुखी विकास में अमूल्य योगदान दे रहा है। वर्ग में बालिकाओं ने नियुद्ध, (जूडो-कराटे), योग, चाप कला, दंड प्रहार, छुरी प्रहार, बाइक स्टंट के सुन्दर प्रदर्शन से सभी को हर्षित कर दिया। गीता बाल भारती विद्यालय, राजगढ़ कॉलोनी, कृष्णा नगर,  दिल्ली  में संपन्न शिक्षा वर्ग समापन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. रितु श्रीवास्तव (वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक) सी.एस.आई.आर., अध्यक्षा अनुजा सक्सेना अधिवक्ता, मुख्य वक्ता डॉ. लीना गोविंद गहाणे (अखिल भारतीय  बौद्धिक सह प्रमुख) , प्रवेश वर्ग वर्गाधिकारी जानी-मानी समाज सेविका भारती खन्ना, प्रबोध वर्गाधिकारी सुनीता भाटिया, दिल्ली प्रांत कार्यवाहिका, विजया शर्मा, दिल्ली प्रांत प्रचारिका व अखिल भारतीय  महाविद्यालयीन तरुणी प्रमुख , प्रांत सह कार्यवाहिका विदुषी शर्मा ,प्रतिभा बिष्ट दिल्ली प्रांत सह कार्यवाहिका ,पंकजा अत्रे अखिल भारतीय घोष अध्यक्ष, उत्तर क्षेत्र कार्यवाहिका चंद्रकांता जी, अधिकारीगण सेविका बहनें, अभिभावक गण के साथ बड़ी संख्या में सम्मानित नागरिक उपस्थित थे।

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