नई दिल्ली,
बेहतर स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधा देने की दिशा में सरकार लगातार काम रही है, इसी के तहत देश में 22 नए एम्स को स्वीकृति दी गई है। इस बात की जानकारी केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने मंगलवार राज्य सभा में दी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई) के तहत 22 नए एम्स के लिए स्वीकृति दी गई है। इनमें वर्ष 2017-18 अथवा उसके बाद स्वीकृत 10 एम्स शामिल हैं। भोपाल, भुवनेश्वर, जोधपुर, पटना, रायपुर और ऋषिकेश में स्वीकृत छह एम्स कार्यात्मक हैं। शेष 16 नए एम्स निर्माण के विभिन्न- चरणों में हैं।
12 एम्स में एमबीबीएस कोर्स शुरू
6 एम्स के अलावा, रायबरेली, मंगलागिरि, गोरखपुर, भंटिडा, नागपुर और बीबीनगर में 6 एम्स में ओपीडी सेवाएं शुरू कर दी गई हैं। मंगलागिरि, नागपुर, कल्याणी, गोरखपुर, बठिंडा, रायबरेली, देवगढ़, बीबीनगर, गुवाहाटी, बिलासपुर, जम्मू और राजकोट में 12 एम्स में एमबीबीएस कोर्स शुरू हो गए हैं। एम्स, मंगलागिरि, आंध्र प्रदेश में निर्माण कार्य प्रगति पर है।
डॉक्टर्स की संख्या बढ़ाना है उद्देश्य
इस से पहले 2019 में स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे ने बताया था कि सरकार का उद्देश्य प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के जरिए , जम्मू कश्मीर से लेकर गुजरात तक देश के हर कोने में एम्स की स्थापना करना है। जिसका एक प्रमुख उद्देश्य देश भर में पीजी की सीटों की संख्या बढ़ाना भी हैं। मंत्री जी ने राज्यसभा में बताया की इस योजना के पहले चरण में 21 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के 72 सरकारी मेडिकल कॉलेज में 4058 सीटें बढ़ जाएंगी। वहीं योजना के दूसरे चरण में 98 पीजी सीट बढ़ाने के लिए 3 राज्यों को स्वीकृति दी जा चुकी है। इस पहल में केन्द्र और राज्य सरकार दोनों ही 10:90 के अनुपात में खर्चा वहन करेंगी । वहीं उत्तर-पूर्वी राज्यों और विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों के लिए ये 40:60 होगा ।
कुछ जगहों पर इस वजह से हुआ विलंब
उन्होंने बताया कि राज्य द्वारा किए जाने वाले कार्य कलापों में भी कुछ विलंब हुआ था, जिसमें जल आपूर्ति प्रबंधन, अत्याधिक वर्षा जल निष्कासन, परिसर के लिए मुख्य संपर्क मार्ग तथा मौजूदा एनडीआरएफ परिसर का स्थानांतरण शामिल है। कोविड-19 महामारी से भी कार्य की प्रगति पर प्रभाव पड़ा। पीएमएसएसवाई के अंतर्गत सभी वर्तमान परियोजनाओं की प्रगति कार्य निष्पादन एजेंसियो और अन्य हितधारकों के साथ नियमित रूप से समीक्षा की गई है ताकि समय-बद्ध तरीके से कार्य समापन सुनिश्चित किया जा सके।