– आयुष्मान भारत योजना के कार्ड धारक राष्ट्रीय आरोग्य निधि योजना के लिए हो गए अयोग्य
नई दिल्ली,
भारत सरकार की प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना के तहत संचालित आयुष्मान भारत योजना एम्स में इलाज के लिए आने वाले मरीजों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही है। एम्स में बीपीएल कार्ड धारक ऐसे मरीजों के लिए राष्ट्रीय आरोग्य निधि कोष बनाया गया है जो गरीब मरीजों को इलाज के लिए 15 लाख रुपए तक की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराता है, इसके लिए एम्स का समाज कल्याण विभाग मरीज के जांचों की पड़ताल पर उसे संबंधित विभाग को प्रेषित करता है। लेकिन बीते कुछ दिनों से आयुष्मान भारत योजना का जोरों शोरों से प्रचार किया गया, जिसके बाद बीपीएल रेखा से नीचे आने वाले मरीजों ने आयुष्मान कार्ड भी बनवा लिया, लेकिन अब इनकी सहायता राशि पांच लाख रुपए के बीमा तक सीमित हो गई है, जिससे साधारण मरीजों को तो लाभ मिल रहा है लेकिन अति गंभीर बीमारी जिसमें अधिक पैसे खर्च होते हैं वह इलाज से वंचित हो रहे हैं।
मूलत: बिहार निवासी विश्वनाथ ने ऐसी ही अपनी परेशानी साझा करते हुए सेहत356 की टीम को बताया कि मेरे बेटे को एप्लास्टिक एनीमिया है, जिसे ब्लड कैंसर भी कहा जाता है, इसमें इलाज के लिए बोन मैरो ट्रांसप्लांट कराना पड़ता है, इसका खर्च 12 लाख रुपए बताया गया है। विश्वनाथ के पास बीपीएल कार्ड भी है और कुछ दिन पहले ही उसने आयुष्मान भारत योजना का कार्ड भी बनवा लिया, लेकिन आयुष्मान की वजह से वह राष्ट्रीय आरोग्य निधि के कोष से वंचित हो गया है, जिससे उसके बेटे का इलाज हो सकता था। विश्वनाथ बेटे के इलाज के लिए अपनी जमीन भी बेच चुके हैं, बीते पांच महीने से एम्स में भटकने के बाद भी प्रशासन उसे पांच लाख रुपए से अधिक मदद देने को तैयार नहीं, जैसा कि आयुष्मान भारत योजना में कहा गया है कि मरीज किसी एक कार्ड का ही लाभ ले सकता है, चाहे वह बीपीएल कार्ड धारक ही क्यों न हो यदि उसने आयुष्मान भारत योजना का कार्ड बनवाया है तो उसे राष्ट्रीय आरोग्य निधि का लाभ नहीं दिया जा सकेगा। एम्स के आरडीए के पूर्व अध्यक्ष डॉ. विजय गुर्जर ने बताया कि एम्स में आयुष्मान का मरीजों को नुकसान उठाना पड़ रहा है यहां गंभीर बीमारियों के इलाज का खर्च पांच लाख रुपए से कहीं अधिक आता है जो अब मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। विश्वनाथ जैसे कई मरीजों ने इस बावत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र भी लिखा है।