नई दिल्ली: शराब पीना एक शौक भले ही हो, लेकिन घर में बच्चों के सामने शराब पीना उसके मानसिक व्यवहार पर असर डाल सकता है। इस बावत किए गए अध्ययन में ऐसे बच्चों के सीबीसीएल (चाइल्ड बिहेव्यिर चेक लिस्ट) को जांचा गया। देखा गया कि शराबी पिता होने पर बच्चे भावनात्मक रूप से अधिक कमजोर और आक्रामक होते हैं, जबकि सामान्य माहौल में बड़े होने वाले बच्चे अधिक संजीदा और हंसमुख देखे गए।
एम्स के मनोचिकित्सा विभाग और गाजियाबाद स्थित राष्ट्रीय नशा मुक्ति संस्थान के सहयोग से किए गए अध्ययन में शराब की लत छुड़ाने के लिए केन्द्र पर आने वाले मरीज और उनके परिवार (बच्चों) की केस हिस्ट्री देखी गई। पिता में शराब की लत का पता लगाने के लिए आईसीडी 10 और डीसीआर मानक पर जांच की गई, निर्धारित किया गया कि मरीज अध्ययन के एक महीने पहले और एक महीने बाद शराब का सेवन न किया गया हो।
अध्ययन में शामिल डॉ. शिवानंद कट्टीमनी ने बताया कि सामान्य व्यवहार संबंधी चार मानकों पर बच्चों की मानसिक स्थिति का पता लगाया गया। सात से 14 साल की आयु के ऐसे बच्चों के व्यवहार पर शराबी पिता की आदतों का असर अधिक पड़ा, जो सात से आठ साल की आयु के बीच के हैं। जबकि इसी सेंटर पर काम करने वाले ऐसे कर्मचारियों के बच्चों को भी अध्ययन में शामिल किया गया जिनके पिता शराब नहीं पीते हैं। शराबी पिता के 30 प्रतिशत बच्चे भावनात्मक रूप से कमजोर और आक्रामक देखे गए, इस बच्चों की व्यवहार संबंधी परेशानी में न्यूरोलॉजिकल डिस्आर्डर भी पाया गया। अध्ययन को इंस्टीट्यूट ऑफ एथिक्स कमेटी द्वारा स्वीकृत किया गया।
किस मानक पर व्यवहार का पता लगा
एडीएचडी (अटेंशन डेफेसिट हाईपरएक्टिव डिस्आर्डर)- बच्चों के व्यवहार में एकाग्रता पता लगाने के लिए कुल चलचित्र और द्श्यों को दिखाया गया। इसमें डीएसम-4 टीआर मानक को अपनाया गया।
– बीआईएस (बैरेट इंपलसिविटी स्केल)- इसे मानव व्यवहार की जांच के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला चौथे चरण का मानक बताया जाता है।