नई दिल्ली: काम के बोछ के बीच यदि आपको पेशाब करने की जरूरत महसूस हो रही है, तो बाकी काम छोड़ कर पहले लघु शंका का समाधान करें। किडनी विशेषज्ञों का मनाना है कि लंबे समय तक पेशाब की जरूरत को नजरअंदाज कर 20 प्रतिशत युवा पथरी व यूरिनरी संक्रमण को दावत दे रहे हैं। महत्वपूर्ण यह है कि दवाब के बाद भी यदि तीन से चार मिनट भी पेशाब को रोका गया तो यूरिन के टॉक्सिक तत्व किडनी में वापस चले जाते हैं, जिसे रिटेंशन ऑफ यूरिन कहते हैं।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के यूरोलॉजिस्ट विभाग के प्रमुख डॉ. पीएन डोगरा कहते हैं कि यूरीन शरीर की सामान्य प्रक्रिया है, जिसे महसूस होने पर एक से दो मिनट के अंदर निष्काषित कर देना चाहिए। पसीने की तरह पेशाब के माध्यम से गैर जरूरी तत्व भी बाहर निकलते हैं। यदि वह थोड़े समय भी अधिक शरीर में रहते हैं तो संक्रमण की शुरूआत हो सकती है। एस्कार्ट
फोर्टिस अस्पताल के रिनल साइंस विभाग के निदेशक डॉ. एससी तिवारी कहते हैं कि महिलाओं व कामकाजी युवाओं में यूरीन संबंधी दिक्कतें सामनें आ रही हैं, जिसकी शुरूआत ब्लेडर में दर्द के रूप में होती है। महिलाओं में लघु शंका संबंधी आदत में सामाजिक तत्व अधिक देखा गया है, जो एक से दो घंटे तक यूरीन रोक लेती है। वहीं 8 से 10 घंटे बैठ कर काम करने वाले युवाओं को यूरीन की जरूरत ही तब महसूस होती हैं, जबकि वह कार्य करने की स्थिति बदलते हैं। जबकि इस दौरान किडनी से यूरिनरी ब्लेडर में पेशाब इकठ्ठा होता रहता है।
आरजी स्टोन के यूरोलॉजिस्ट डॉ. बीएस बंसल कहते हैं कि हर एक मिनट में दो एमएल यूरीन ब्लेडर में पहुंचता है, जिसे प्रति एक से दो घंटे के बीच खाली कर देना चाहिए। ब्लेडर खाली करने में तीन से चार मिनट की देरी में पेशाब दोबारा किडनी में वापस जाने लगता है, इस स्थिति के बार-बार होने से पथरी की शुरूआत हो जाती है। क्योंकि पेशाब में यूरिया और अमिनो एसिड जैसे टॉक्सिक तत्व होते हैं।
महिलाओं के लिए कम हैं सुविधाएं
महिला और पुरूष के लिए एक किलोमीटर के दायरे में एक सुलभ शौचालय जरूर होना चाहिए। यूरोलॉजिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया की अगर मानें तो महिलाओं के यूरिनरी सुविधाएं पुरूषों की अपेक्षा कम हैं, जिन्हें बढ़ाया जाना चाहिए। देर तक पेशाब रोकने के कारण महिलाओं में गर्भाश्य संबंधी परेशानियां भी हो सकती हैं। इस संदर्भ में मधुमेह रोगियों की परेशानी अधिक गंभीर हैं, जिन्हें ब्लेडर भरने के बाद भी पेशाब की जरूरत नहीं होती। इसलिए उन्हें प्रत्येक एक घंटे बिना दवाब के भी यूरीन करने जाना चाहिए।
जरूरी हैं यह जानें
-लघु शंका किडनी की स्वाभाविक प्रक्रिया हैं, प्रत्येक एक मिनट में 2 एमएल यूरीन किडनी से यूरिनरी ब्लेडर में पहुंचता है।
-यूरिनरी ब्लेडर में 250 एमएल यूरीन एकत्र होने पर लघु शंका का अनुभव होता है।
-ब्लेडर भरने के बाद यदि उसे रोका गया तो इसका रिटेंशन शुरू होता है, यानि यूरीन वापस किडनी में जाने लगता है।
-सामान्य व्यक्ति को दिन की अपेक्षा रात में लघु शंका की कम शिकायत होती हैं, क्योंकि इस समय शरीर गतिशील नहीं होता।
-यूरीन बार-बार रोकने से ब्लेडर की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, यह पेशाब की करने की क्षमता को भी कम करता है।