आरएमएल अस्पताल को दान में मिली थ्रीडी सीआर्म मशीन

नई दिल्ली, सेहत संवाददाता

 

राम मनोहर लोहिया अस्पताल के आर्थो विभाग की सेवाओं को अधिक बेहतर करने के लिए आधुनिक उपकरण दान किए गए। अस्पताल को यह उपकरण ओएनजीसी के सहयोग से एक स्वयं सेवी संस्था द्वारा दिए गए। लगभग 4.5 करोड़ की कीमत के इन उपकरणों से अस्पताल में हड्डी रोग विभाग के विभिन्न प्रोसिजर और प्रक्रियाएं आसानी से हो सकेगी। अस्पताल में इन उपकरणों की कमी थी, इन उपकरणों से हड्डी रोग विभाग में प्रतिदिन होने वाले आर्थो सर्जरी को 5-6 से बढ़ाकार 15-16 किया जा सकता है। इससे मरीजों का इंतजार और इलाज पर होने वाला खर्च कम होगा।

 

भारत सरकार के स्वास्थय एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव तथा ओएनजीसी के निदेशक एचआर की उपस्थिति में थ्रीडीसी आर्म मशीन अस्पताल को सुपुर्द की गई। इस मशीन की सहायता सर्जरी प्रक्रिया को अधिक सटीक संचालित किया जा सकता है। थ्रीडी सी आर्म मशीन उच्च क्षमता युक्त इमेज देती है, जिससे ऑपरेशन के दौरान गलतियां होने की संभावना कम हो जाती है। यह मशीन सर्जरी के दौरान होने वाले अन्य जोखिमों को भी कम करती है। थ्रीडी सीआर्म के माध्यम से सर्जरी के दौरान क्रास सेक्शनल, सैजिटल, कोरोनल टोमोग्राफी और थ्री डी स्टीरियोस्कोपिक इमेज प्राप्त होती है, जिससे ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर सर्जरी के समय हड्डी और ऊतकों की सही स्थिति का पता लग जाता है। इसका उपयोग मुख्य रूप से आर्थोपेडिक विभाग के तहत स्पाइन सर्जरी, घुटना प्रत्यारोपण, ट्रामा आर्थोपेडिक्स के साथ ही जोखिम युक्त सर्जरी के लिए इसका प्रयोग बेहतर माना गया है। आरएमएल अस्पताल अभी तक थ्रीडी सी आर्म मशीन को विभिन्न एजेंसियों से किराए पर मंगाता था, जो अपेक्षाकृत काफी महंगा पड़ता था। थ्रीडी सीआर्म इमेजिंग सिस्टम एक इंट्राऑपरेटिव इमेजिंग डिवाइस के रूप् में आर्थोपेडिक्स प्रौद्योगिकी को अधिक बेहतर करने में सहायता प्रदान करता है। आर्थोपेडिक्स विशेषज्ञों के लिए यह स्कोलियोसिस आर्थोपेडिक्स आपातकालीन सेवाएं और न्यूनतक इनवेसिव या सुक्ष्म सर्जरी में मदद करता है। थ्रीडी सीआर्म इमेजिंग सिस्टम को रोबोटिक स्पाइन सर्जरी के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है, रोबोटिक स्पाइन सर्जरी के लिए जरूरी इमेज सर्जरी के बेहतर परिणाम को सुनिश्चित करती है। राममनोहर लोहिया अस्पताल को यह मशीन यूपी की स्वयं सेवी संस्था डॉ बीआर अंबेडकर विकास एवं सेवा संस्थान द्वारा ओएनजीसी के सहयोग से दान में दी गई।

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