नई दिल्ली,
देश के सर्वोच्च चिकित्सा संस्थान एम्स में वीआईपी कल्चर इस कदर हावी हो रहा है कि यहां कोरोना वैक्सीनेशन को भी लेकर भी भेदभाव होने लगा। एम्स ने झज्जर स्थित राष्ट्रीय कैंसर संस्थान के स्टाफ के लिए कोरोना टीकाकरण कैंप लगाने से मना कर दिया वहीं दूसरी ओर वीवीआईवी सांसद और विधायकों को वैक्सीन लगाने के लिए विशेष कैंप लगाया जाएगा। एम्स स्टॉफ यूनियन ने इस बात का विरोध किया है, एम्स झज्जर के स्टॉफ को कोरोना वैक्सीन की अधिक जरूरत है क्योंकि संस्थान को ही सरकार ने कोविड डेडिकेटेट बनाया था। अब जबकि वैक्सीन आ गई है तो मेडिकल और पैरामेडिकल स्टॉफ चाहता है कि एनआईसी में विशेष कैंप लगाकर स्टॉफ के सभी लोगों को कोरोना का टीका दिया जाएं, लेकिन एम्स प्रशासन ने यूनियन की इस बात को सिरे से खारिज कर दिया गया है कहा गया कि यह संभव नहीं है इसके लिए एम्स को अधिक संसाधन और वैक्सीन संरक्षित करने के लिए कोल्ड स्टोरेज की जरूरत होगी। वहीं एमपी और एमएलए के लिए विशेष कैंप लगाकर कोराना वैक्सीन देने की बात कही गई है।
एम्स नर्सिंग यूनियन द्वारा अस्पातल अधीक्षक को लिखे पत्र में झज्जर एम्स में कोविड वैक्सीनेशन कैंप लगाने की सिफारिश की गई थी। जिसके जवाब में मेडिकल सुपरिटेंडेंट ने कहा कि संसाधनों की कमी की वजह से यह संभव नहीं हो सकता और न ही सरकार ने हेल्थ केयर वर्कर को टीका लगाने के लिए ऐसी कोई गाइडलाइन जारी की है, कहा गया कि मेडिकल स्टॉफ खुद ही नजदीक का कोई वैक्सीनेशन केन्द्र ढूंढकर कोरोना का वैक्सीन लगवा सकते हैं। कहा गया कि कोरोना वैक्सीनेशन केन्द्र की हर साइट पर निर्धारित मानकों का पालन किया जाना जरूरी है, जिसका पालन करना संभव नहीं होगा। नर्सिंग यूनियन के हरीश कुमार कजारा ने बताया कि मेडिकल सुपरिटेंडेंट ने यूनियन की मांग को नहीं माना है जबकि एम्स झज्जर को कोविड सेंटर बनाया गया है जहां जोखिम का खतरा ज्यादा है