नई दिल्ली,
कोरोना संभावित मरीजों की जांच और इलाज मामले पर दिल्ली सरकार की किरकिरी होते देख सरकार ने यू टर्न लिया है। छह जून को जारी एक आदेश में कहा गया कि किसी भी तरह के प्राइवेट, सरकार, सहायता प्राप्त, चैरिटेबल, आर्मी या नर्सिंग होम कोरोना के लक्षण वाले मरीजों को भर्ती करने से मना नहीं कर सकते। ऐसे मरीजों को रिपोर्ट आने तक कोविड वार्ड में भर्ती किया जाएं, संभावित मरीजों को अस्पताल इलाज बिना वापिस नहीं भेज सकते। मालूम हो कि दिल्ली सरकार ने पांच दिन पहले जारी अपने एक आदेश में कोरोना जांच को निजी लैब में प्रतिबंधित करने के साथ ही अस्पताल को यह आदेश दिया था कि कोरोना के एसिम्पमैटिक मरीजों की अस्पताल से तुरंत छुट्टी कर दी जाएं। दिल्ली सरकार के इस फैसले की हर जगह निंदा की जा रही थी।
शनिवार को जारी एक सरकारी आदेश में सरकार ने पूर्व में लिए गए फैसले से हाथ खींच लिया है। अब कहा गया है कि दिल्ली एनसीटी के तहत आने वाले सभी नर्सिंग होम, चैरिटेबिल अस्पताल, सरकारी और गैर सरकारी सहायता प्राप्त अस्पताल कोरोना के लक्षण वाले मरीजों को भर्ती करने से मना नहीं कर सकते। स्वास्थ्य सचिव पद्मिनी सिंगला ने जारी आदेश में कहा कि कोरोना के लक्षण के साथ यदि कोई मरीज अस्पताल पहुंचता है तो उसे सबसे पहले भर्ती कर इलाज दिया जाएं, जब तक मरीज की रिपोर्ट नहीं आ जाती उसे कोविड संभावित वार्ड में भर्ती कर इलाज किया जाएं, रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद एपिडेमिक एक्ट के तहत बताएं गए दिशा निर्देश के आधार पर मरीजों का इलाज किया जाएगा। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अनुमति के बाद यह आदेश सभी अस्पताल और नर्सिंग होम को भेज दिया गया है।