नई दिल्ली: नैशनल मेडिकल काउंसिल (NMC) बिल के खिलाफ स्ट्राइक कर रहे एम्स के रेजिडेंट डॉक्टरों को अब तक अपने फैकल्टी का साथ नहीं मिल पाया है। यूं तो वाट्सग्रुप पर फैकल्टी इस बिल के खिलाफ बातें तो कर रहे हैं, लेकिन खुलेआम वो भी सरकार के इस फैसले का विरोध करने से बच रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी एम्स के सीनियर फैकल्टी ने अब तक इस को लेकर अपना रूख क्लीयर नहीं किया है। एम्स के रेजिडेंट डॉक्टरों को पूरी उम्मीद थी कि फैकल्टी उनके साथ है और समय आने पर खड़ी रहेगी, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं दिख रहा है। इसलिए दबे मन से रेजिडेंट डॉक्टरों ने एम्स के फैकल्टी असोसिएशन की चुप्पी पर भी सवाल उठाया है। रेजिडेंट डॉक्टरों का कहना है कि यह बिल आम लोगों के खिलाफ है, हमें डायरेक्ट इससे नुकसान नहीं है। लेकिन हम आम लोगों के लिए यह लड़ाई लड़ रहे हैं, ताकि हमारा भविष्य किसी ऐसे हाथ में नहीं चला जाए जहां इलाज से लोगों की जान चली जाए। यही वजह है कि हम स्ट्राइक पर भी मजबूर हैं, एक तरफ मरीज हैं जिनका इलाज बंद कर हम स्ट्राइक कर रहे हैं, दूसरी तरफ वही मरीज आज स्ट्राइक की वजह से परेशान हैं। इसलिए हमने स्ट्राइक के साथ साथ अब मरीजों को भी यह बता रहे हैं कि हम अपने लिए नहीं आप लोगों के लिए यह स्ट्राइक कर रहे हैं। हमारे साथ अब मरीज भी धीरे धीरे खड़े हो रहे हैं। लेकिन जिनसे हमें उम्मीद थी वो हमारे सीनियर हमारे साथ नहीं है। ऐसा पहली बार हुआ है कि जनमानस के फैसले के लिए एम्स के फैकल्टी आवाज उठाने से बच रहे हैं। जबकि एम्स का यह हमेशा पहचान रही है कि वो सरकार की गलत नीतियों का विरोध करती रही है, किंतु अब एम्स में भी वो बात नहीं है। फैकल्टी मीडिया से बच रही है, सोशल मीडिया में चुप्पी साधे हुए है, यही वजह है कि हमारे इस स्ट्राइक को जितनी ताकत मिलनी चाहिए थी वो नहीं मिल पा रह है।