21 साल से प्रीति के सीने में धड़क रहा है किसी और का दिल

नई दिल्ली,
आम जिंदगी में हम दिल के मामले में अकसर लोगों को दिल लेने और दिल देने की बातें करते हुए देखते हुए लेकिन 21 साल पहले प्रीति को दिल की गंभीर बीमारी हुई और अंगदान की मुहिम के तहत प्रीति को किसी अन्य दानकर्ता का दिल प्रत्यारोपित किया गया। मात्र 22 साल की उम्र में प्रीति की यह सर्जरी की गई, जिसके बाद प्रीति अपने दिल की एक एक धड़कन के लिए उन अंजाने हार्ट डोनर का धन्यवाद करती हैं। प्रीति को दिल की गंभीर डायलेटेड कार्डियामॉयापैथी बीमारी थी, जिसे हार्ट इंलार्ज होना भी कहते हैं। इस स्थिति में दिल प्रत्यारोपण के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं होगा।
विश्व हृदय दिवस पर हमें प्रीति से बात करने का मौका मिला। जनवरी महीने में प्रीति के हृदयप्रत्यारोपण को 21 साल का समय पूरा हो जाएगा। वर्ष 2001 के जनवरी महीने में यह प्रीति के हृदयप्रत्यारोपण की सर्जरी एम्स के पूर्व कार्डियक सर्जन डॉ. बलराम ऐरन द्वारा की गई थी। प्रीति कहती हैं कि मैं हर क्षण उन अंजाने डोनर का शुक्रिया अदा करती हूं जिसकी बदौलत आज मेरी सांसे चल रही हैं। दरअसल हृदयप्रत्यारोपण एक जटिल सर्जरी है, जिसके बाद मरीज को आजीवन इम्यूनोसेपरेशन दवाओं पर रखा जाता है। हालांकि प्रीति हर तरह के काम बेहद अच्छे तरीके से कर लेती हैं उसे कभी कोई दिक्कत नहीं हुई हाल ही में प्रीति को कोविड संक्रमण भी हुआ जिसको प्रीति से मात दे दी। कुछ इम्यूरोसेपरेशन दवाओं की वजह से उन्हें लगातार चिकित्सकों के संपर्क में रहना पड़ता है। इसके लिए परिजनों का सहयोग भी जरूरी है। प्रीति फिलहाल स्वस्थ हैं और नौकरी कर रही हैं। कोविड टीकाकरण के शुरूआती चरण में इम्यूनो सेपरेशन दवाओं के मरीजों को वैक्सीन न लेने की सलाह दी गई थीं, लेकिन अब धीरे यह भ्रम भी दूर हो रहा है। प्रीति ने बिना किसी दुष्प्रभाव के कोविड की कोवैक्सिन की दोनों डोज लगवा ली है। विशेषज्ञ प्रीति को अब तक सबसे लंबे समय तक सरवाइव करने वाले हृदयप्रत्यारोपण का मरीज मानते हैं। प्रीति के सर्जन और एम्स के पूर्व वरिष्ठ कार्डियक सर्जन डॉ. बलराम ऐरन ने कहा कि प्रीति की सर्जरी उस समय में की गई थी जब अंगदान के लिए अधिक संगठित व्यवस्थाएं नहीं थी, अब नाटो की तरह ही राज्यों में राज्य अंगदान प्रत्यारोपण केन्द्र हैं, जो अंगदान के लिए लोगों को आगे आने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं, लेकिन प्रीति उन चुनिंदा लोगों में जिनका सफलता पूर्वक हृदय प्रत्यारोपण किया गया।

छह से आठ घंटे में संभव है दिल का प्रत्यारोपण
नेशनल आर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन या नाटो द्वारा जारी दिशा निर्देश के अनुसार अन्य अंगों की तरह की मार्ग दुर्घटना में मृत्यु के शिकार लोगों का दिल भी जरूरत मंद को प्रत्यारोपण किया जा सकता है। हार्ट फेलियर के मामलों में मरीज को दिल प्रत्यारोपण के जरिए नया जीवन देना संभव है। दिल प्रत्यारोपण के लिए चार से छह घंटे का समय निर्धारित किया गया है, इस अंतराल में यदि दान कार्ता और प्राप्तकर्ता की सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली जाएं तो दिल का सफल प्रत्यारोपण किया जा सकता है। फेफड़ा प्रत्यारोपण के लिए चार से आठ घंटे, छोटी आंत के लिए छह से दस घंटे, लिवर के लिए 12 से 15 घंंटे, पैंक्रियाज के लिए 12-24 घंटे और किडनी के लिए 24-48 घंटे का समय निर्धारित किया गया है। इसके लिए नाटो में पहले से ही अंगदान कार्ड होना जरूरी है। जिसमें अंगदान कर्ता द्वारा स्वेच्छा से मार्ग दुर्घटना में मृत्यु के पश्चात अंगदान की शपथ ली गई हो।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *