नई दिल्ली: किडनी की बीमारी की दो प्रमुख वजह डायबिटीज और हाई ब्लड है। माना जाता है कि 60 प्रतिशत किडनी रोगों की दो वजह यही दोनों बीमारी है। अगर मरीज को दिल की बीमारी है और परिवार में पहले से किसी को किडनी फेल होने की परेशानी रही है तो ऐसे लोगों को किडनी बीमारी का खतरा ज्यादा है।
आईएमए के नैशनल प्रेसिडेंट डॉ के के अग्रवाल और आईएमए के जनरल सेक्रेटरी डाॅ आरएन टंडन का कहना है कि अगर आप को यह खतरे हैं तो आपको अपनी जांच ज़रूर करवानी चाहिए। इसके लिए किडनी डैमेज के लिए यूरीन टेस्ट और किडनी कैसे काम कर रही है जानने के लिए ब्लड टेस्ट करना होता है। यूरीनटेस्ट से एल्बुयमिन प्रोटीन की जांच होती है जो स्वस्थ किडनी में नहीं पाया जाता। ब्लड टेस्ट से जीएफआर का पता चलता है। जीएफआर किडनी की फिल्टर करने की क्षमता का टेस्ट होता है। 60 से कम जीएफआर क्राॅनिक किडनी रोग का संकेत होता है।
डाॅ अग्रवाल कहते हैं कि लोग रोकथाम की जांच करवाने नहीं जाते और जांच में देरी हो जाती है। इलाज के बिना हालत बिगड़ जाती है। अगर जीएफआर 15 से नीचे चला जाए तो आप कमज़ोर और थकान महसूस करते हैं, उसके साथ बेचैनी, उल्टी और खुजली होती है।
उसके बाद किडनी ट्रांसप्लांट या डायलिसिस करवाना पड़ सकता है। शरीर में पानी की उचित मात्रा बनी रहना इसका उपाय है। सोडियम, यूरिया और विशैले तत्वों को बाहर निकालने में यह मदद करता है जिससे खतरा कम होता है। यह रोग पाचनतंत्र के विकारों और हड्डी रोगों से भी जुड़ा है और उसके साथ दिल के रोग और स्ट्रोक होने की संभावना भी बढ़ जाती है।
इन बातों का रखें ख़्याल
चुस्त और तंदरूस्त रहें, ब्लड प्रैशर को नियंत्रण में रखें।
ब्लड शुगर को नियंत्रित रखें, क्योंकि डायबिटीज वाले आधे लोगों की किडनी डैमेज हो जाती है
ब्लड प्रेशर की निगरानी रखें। हाई ब्लड प्रेशर से किडनी डैमेज हो सकती है।
उसके साथ दिल के रोग और स्ट्रोक होने की संभावना भी बढ़ जाती है
सेहतमंद आहार लें और वज़न संतुलित रखें इससे डायबिटीज, दिल के रोगों और
अन्य किडनी रोगों को रोकने में मदद मिलेगी। नमक कासेवन कम करें। केवल 5 से 6 ग्राम प्रतिदिन।
धुम्रपान ना करें। इससे रक्त का बहाव कम होता है और 50 प्रतिशत मामलों में किडनी का कैंसर होने का खतरा रहता है।
अपनी मर्ज़ी से दवा ना खाएं। आईबयूप्रोफेन से किडनी खराब होती है।
अगर आप खतरे की ज़द में हैं तो किडनी की जांच करवाते रहे।