जिन किशोरों का स्कूल सुबह साढ़े आठ बजे से पहले प्रारंभ होता है उनमें अवसाद तथा व्यग्रता का जोखिम बहुत ज्यादा होता है. यह जोखिम तब भी बना रहता है जब वे रात में अच्छी नींद लेने के लिए सबकुछ कर रहे हों। यह शोध नींद और किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य के बीच संबंध तो सामने लाया ही है, इसके माध्यम से यह भी पहली बार पता चला है कि स्कूल शुरु होने के वक्त का किशोरों की नींद और रोजर्मा के कामकाज पर भी गंभीर असर पड सकता है.
यह शोध जर्नल स्लीप हैल्थ में प्रकाशित हुआ है. इसके आधार पर किशोरों के स्वास्थ्य तथा स्कूल शुरु होने के समय पर राष्ट्रीय बहस शुरु की जा सकती है. अमेरिका में यूनिवर्सिटी ऑफ रोसेस्टर में सहायक प्रोफेसर जेक प्लेट्ज ने बताया कि यह इस तरह का पहला शोध है जिसमें देखा गया है कि स्कूल शुरु होने का वक्त नींद की गुणवत्ता को किस तरह प्रभावित करता है.
उन्होंने कहा, वैसे तो कई अन्य चीजों पर भी ध्यान देने की जरुरत है लेकिन हमारे शोध में सामने आए निष्कर्ष बताते हैं कि स्कूल का समय बहुत जल्द होने से नींद की प्रक्रिया प्रभावित होती है और इससे मानसिक स्वास्थ्य संबंधी लक्षण बढ़ जाते हैं. जबकि स्कूल शुरु होने का समय देर से होना किशोरों के लिए अच्छा है. अच्छी सेहत और कामकाज के लिए आठ से दस घंटे की नींद की जरुरत होती है लेकिन हाई-स्कूल के लगभग 90 फीसदी किशोरों की नींद पूरी नहीं होती। शोधकर्ताओं ने देशभर के 14 से 17 वर्ष आयुवर्ग के 197 छात्रों का डाटा ऑनलाइन तरीके से जुटाया था। इन्हें दो समूहों में बांटा गया था। पहले वे जिनका स्कूल सुबह साढे आठ बजे से पहले शुरु होता है और दूसरे वे जिनका स्कूल साढ़े आठ के बाद शुरु होता है