एम्स में पहली बार लीवर और किडनी ट्रांसप्लांट की सफल सर्जरी

एम्स में पहली बार लीवर और किडनी ट्रांसप्लांट की सफल सर्जरी की गई। 11 साल की बच्ची दिव्या की 18 घंटे तक चली सर्जरी में एक साथ लीवर और किडनी ट्रांसप्लांट किया गया। सर्जरी के बाद बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ्य है।

उड़ीसा की रहने वाली दिव्या का पहले किडनी में डिफेक्ट पाया गया था, जब उसे इलाज के लिए एम्स लाया गया तो उसकी जांच में पता चला कि लीवर खराब होने की वजह से उसका किडनी और लीवर दोनों खराब हो गया था। दिव्या की मां गायत्री ने एनबीटी को बताया कि एम्स के पीडिएट्रिक्स नेफ्रोलॉजी ने दिव्या का इलाज किया और उन्होंने जेनेटिक जांच के लिए दिव्या को गंगाराम अस्पताल भेजा। गंगाराम के डॉक्टर ने बताया कि जेनेटिक रिजन की वजह से यह हुआ है। पहले लीवर खराब हुआ और उसकी वजह से ही किडनी फेल हो गई।

लेकिन दिव्या की मां की परेशानी यहीं खत्म नहीं हुई। दिव्या के इलाज में एम्स के डॉक्टर ने 18 लाख रुपये का खर्च बताया, तभी किडनी और लीवर ट्रांसप्लांट किया जा सकता था। एम्स के सोशल वेलफेडर डिपार्टमेंट ने दिव्या की मदद की और आरोग्य निधि से दिव्या को इलाज के लिए 18 लाख रुपये दिए गए।एम्स के डॉक्टर ने बताया कि यह एक चैलेंजिंग सर्जरी थी, क्योंकि इससे पहले एम्स में कभी भी लाइव लीवर और किडनी ट्रांसप्लांट नहीं हुआ था। सर्जरी के लिए प्लानिंग की गई और इलाज के लिए बेस्ट एक्सपर्टीज से मदद ली गई। दिव्या की मां ने कहा कि एम्स ने मंदातां के डॉक्टर ए एस स्वाइन को सर्जरी के लिए बुलाया था। सूत्रों का कहना है कि लाइव लीवर ट्रांसप्लांट में एम्स के पास बहुत अच्छी एक्सपर्टीज नहीं है, इसलिए देश के सबसे बेस्ट एक्सपर्ट से मदद ली गई और 18 घंटे की मैराथन सर्जरी में दोनों ट्रांसप्लांट किया गया।

दिव्या को किडनी उसमी मां गायत्री ने डोनेट किया, जबकि उसे लीवर उसके बड़े पापा ने डोनेट किया। दिव्या के पिता ने कहा कि जब हमें पता चला कि दिव्या की किडनी और लीवर दोंनों फेल है तो बहुत डर गया, लेकिन एम्स ने मेरी बेटी को नई जिंदगी दी है। यहां यह भी बता दें कि एम्स अपने मरीजों को बेस्ट सुविधा देने के लिए बेस्ट एक्सपर्टीज से मदद लेने में गुरेज नहीं करता। कुछ साल पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की रीडू बायपास के लिए मुंबई के हार्ट सर्जन डॉक्टर रामाकांत पांडा को बुलाया था, हाल ही में सुषमा स्वराज का किडनी ट्रांसप्लांट के लिए फोर्टिस के डॉक्टर की मदद ली थी, अब जब एक आम बच्ची की जान बचाने थी तो मंदातां से मदद ली।

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