नई दिल्ली: डॉक्टरी एक नेक पेशा माना जाता है। डॉक्टर हर रोज मरज़ों को अच्छी आदतें सिखाते हैं। इसलिए आम लोगों में यह सोच बन जाती है कि डॉक्टर जो कहते हैं वह खुद भी करते हैं, जैसे कि वह खुद धुम्रपान नहीं करते, ना ह शराब पीते हैं। लेकिन असल तस्वीर सचाई इससे काफी दूर है। डॉक्टर भी मानव हैं और अन्य दबाव वाले पेशों क़ी तरह डॉक्टर भी लगातार रहने क़ी वजह से डॉक्टरों को भी अपने लिए निजी समय चाहिए होता है। लेकिन सार्वजनि स्थल पर मरीजों के सामने डॉक्टरों द्वारा धुम्रपान या शराब का सेवन उनका नाकारात्मक छवि पेश करता है।
इस बारे में आईएमए के नैशनल प्रेसिडेंट डॉ के के अग्रवाल ने कहा कि लोगों क़ी नज़र में डॉक्टर सेहत के ब्रैंड अंबेसडर हैं। हमारा पेशा और सफलता इस सोच पर निर्भर करती है और हमें मरीजों के सामने एक गौरव और साफ छवि बनाए रखनी होती है। इसका मतलब यह है कि हम सामाजिक जीवन में शामिल नहीं हों। जो डॉक्टर सार्वजनिक स्थान पर शराब का सेवन करते हैं उन्हें सलाह द जाती है कि वह ऐसा उन जगहों पर ना करें जं पर उनके पुराने, मौजूदा या भविष्य के मरीज मौजूद हों।
डॉक्टर अग्रवाल कहते हैं कि डॉक्टर होते हुए आपको खुद को पूछना चाहिए कि कोई देख तो नहीं रहा, ताकि आप खुद को याद करवा सकें कि सार्वजनिक स्थान पर आपके मरीज आपको देखें ना। डॉक्टर बनने के साथ ही यह नैतिक जिम्मेदारी आपके साथ जुड़ जाती है और इसका सम्मान करना चाहिए। यह आगे चल कर मरीज को ही फायदा देगा। जब मरीज डॉक्टरों को ऐसी गतिविध में देखता है तो उसके मन में शंका पैदा होती है, डॉक्टरों को अपने सोशल मीडिया पर मरीजों साथ नहीं जुड़ना चाहिए।