नई दिल्ली,
मेटाबॉलिक या अपापचय की बिमारियों से लड़ने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। भारत और फ्रांस ने मिलकर इंडो फ्रेंच नोड फॉर लिवर एंड मेटाबॉलिक डिसीस नेटवर्क तैयार किया है। आईएलबीएस (इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बायलरी साइंसेस) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड मेडिकल रिसर्च फ्रांस के सहयोग से इस पहल को लांच किया गया। आईएलबीएस के अंबेडकर सभागार में कई वरिष्ठ चिकित्सकों सहित कई राजनीतिज्ञों की उपस्थिति में कार्यक्रम को शुरू किया गया।
भारत सरकार के केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ़ जितेन्द्र सिंह इस मौके पर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। नये शोध, इलाज और तकनीकि को विकसित करने के उद्देश्य से दोनों देशों के बीच की यह साझेदारी काफी अहम मानी जा रही है। चिकित्सा क्षेत्र में दो देशों के बीच हुआ ऐसा पहला समझौता चिकित्सा क्षेत्र के नये आयाम खोलेगा। जिसमें वर्चुअल तौर पर एकेडमी सेवाओं का भी आदाम प्रदान किया जा सकेगा। इससे दोनों देशों के विशेषज्ञों की सेवाओं का भी लाभ दोनों देशों को मिल सकेगा। सामूहिक साझेदारी को आईएनएफएलआईएमईएन के नाम से जाना जा सकेगा। जिसमें सामूहिक विजन और अनुभव, साझेदारी का विस्तार, लक्षित एरिया, योजनाबद्ध गतिविधियां, सहित कई महत्वपूर्ण आयामों पर काम किया जा सकेगा। भारत और फ्रांस की इस साझेदारी को भारत सरकार की विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्राला की वार्षिक 35000000 रुपए की आर्थिक सहायता से शुरू किया गया है। जिसमें यूरोप के विदेश मंत्रालय और फ्रांस के सहयोगी मंत्रालय शामिल हैं। इस अवसर पर मौजूद केंद्रीय मंत्री डॉ़ जितेन्द्र सिंह ने कहा कि भारत फ्रांस के रिश्तों पर इस साझेदारी का सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। वास्तव में लिवर और मेटाबॉलिज्म की बीमारी से जूझ रहे मरीजों को इस साझेदारी का लाभ मिलेगा। भारतीयों में फैटी लिवर की समस्या अमूमन अधिकांश लोगों में पाई जाती है, लिवर की बीमारियों के लिए की गई इस साझेदारी से इलाज के नये आयाम तय होगें। मौके पर आईएलबीएस के चांसलर डॉ़ शिव कुमार सरीन ने कहा कि संस्थान के लिए यह बहुत ही गर्व की बात है, इस साझेदारी से एक व्यापक वर्चुअल प्लेटफार्म उपलब्ध हो पाएगा और लिवर की बीमारी के लिए इलाज के लिए अधिक बेहतर विकल्प उपलब्ध हो सकेंगे।