नई दिल्ली
भारत में टीबी (Tuberculosis) की नई जांच मशीन लांच की गई है। हाथ से पकड़ी जाने वाली इस मशीन को आईसीएमआर और आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किया गया है। देशी हैंडहोल्ड मशीन भारत में ही तैयार होने से विदेश से मंगाई जाने वाली हैंडहोल्ड टीबी की जांच मशीन अपेक्षाकृत सस्ती होगी। इससे ग्रामीण इलाकों में टीबी का सघन जांच अभियान शुरू किया जा सकता है। जिसका सीधा फायदा यह होगा कि टीबी संक्रमण को बढ़ने से पहले ही रोका जा सकेगा, क्योंकि देश में टीबी का शत प्रतिशत इलाज है लेकिन जांच में देरी की वजह से इसके कारण हर साल कई 1.5 मिलियन लोग हर साल मर जाते हैं।
इस बारे में आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने बताया कि टीबी संक्रमण के खिलाफ लड़ाई में एक नई उपलब्धि हासिल हुई है। भारत में हाथ में पकड़ी जाने वाली एक्स-रे मशीन विकसित की गई है, जिससे मरीजों में टीबी की बीमारी का जल्द पता लग सकेगा और फिर उसका समय से इलाज करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य को बेहतर करने में मदद मिलेगी। 19वें इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ ड्रग रेगुलेटरी अथॉरिटीज इंडिया 2024 के दौरान आईसीएमआर के महानिदेशक ने कहा कि हाथ से पकड़ी जाने वाली एक्स-रे मशीन बहुत महंगी है। इसे देखते हुए आईआईटी कानपुर के साथ साझेदारी में आईसीएमआर ने हाथ से पकड़ी जाने वाली एक स्वदेशी एक्स-रे मशीन बनाई है, जिसकी कीमत विदेशी मशीन की तुलना में आधी है। इससे घर पर भी मरीजों की टीबी जांच की जा सकेगी। भारत में टीबी को बेहतर करने के लिए आईसीएमआर (भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद) और आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने साथ मिलकर एक हाथ में पकड़े जाने वाला एक्स-रे उपकरण बनाया है। आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने कहा कि भारतीय वैज्ञानिकों ने देश में टीबी की जांच के लिए एक स्वदेशी पोर्टेबल एक्स-रे मशीन विकसित की है।
डॉ. बहल ने समाचार एजेंसी एएनआई को 19वें अंतर्राष्ट्रीय औषधि विनियामक प्राधिकरण सम्मेलन (आईसीडीआरए) भारत-2024 में बताया, “हाथ में पकड़े जाने वाले एक्स-रे बहुत महंगे हैं और अब आईआईटी कानपुर ने आईसीएमआर के साथ साझेदारी में पूरी तरह से स्वदेशी रूप से एक हाथ में पकड़े जाने वाला एक्स-रे विकसित की है, जिसकी कीमत विदेश से मंगाई जाने वाली हाथ में पकड़े जाने वाले एक्स-रे की कीमत से आधी से भी कम होगी।” यह अभिनव एक्स-रे उपकरण स्वास्थ्य सेवा वितरण के लिए एक गेम-चेंजर साबित होगा, विशेष रूप से कम संसाधन वाले क्षेत्रों में। डॉ. बहल ने बताया कि नव विकसित हैंडहेल्ड एक्स-रे की कीमत आयातित संस्करणों की कीमत से आधी से भी कम होगी। इससे खासकर ग्रामीण और कमजोर आबादी में टीबी की जांच कम संसाधनों में आसानी से संभव हो सकेगी।
मालूम हो कि हालंकि टीबी का देश में शत प्रतिशत इलाज उपलब्ध है बावजूद इसके हर साल 1.5 मिलियन से अधिक लोग इससे मर जाते हैं। छाती का एक्स-रे टीबी स्क्रीनिंग के लिए एक सिद्ध उपकरण है, यह टीबी के लक्षणों का पता लगाने में अत्यधिक प्रभावी है और संभावित टीबी की पुष्टि करने के लिए उपयोगी है।
आईसीएमआर ने दी आर्थिक सहायता
2022 में आईसीएमआर ने आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों को पूरी तरह से स्वदेशी, सस्ती और AI-सक्षम हैंडहेल्ड एक्स-रे डिवाइस विकसित करने के लिए 4.60 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दी थी। यह हैंडहेल्ड डिवाइस बैटरी से संचालित होगी और इसे आसानी से उन आबादी तक पहुंचाया जा सकता है जहां भारी मेडिकल उपकरणों को लेकर जाना संभव नहीं है। नई हैंडहेल्ड मशीन से ग्रामीण क्षेत्र में टीबी की जांच को अधिक बेहतर किया जा सकेगा। वैज्ञानिकों ने इस डिवाइस को बनाने के लिए लेनेक टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड के साथ काम किया। भारत में टीबी एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है, जहां इसके प्रसार को नियंत्रित करने के लिए समय पर पता लगाना और उपचार करना महत्वपूर्ण है। वहीं प्रारंभिक जांच व इलाज से उल्लेखनीय सुधार हो सकता है और संक्रमण को रोकने में मदद कर सकता है।