नई दिल्ली
धनतेरस को शास्त्रों में धन्वंतरि दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। जिन्हें आयुर्वेद का जनक भी माना जाता है। आयुष मंत्रालय द्वारा इस दिन को आयुर्वेद दिवस मनाने की घोषणा की गई। आयुष मंत्रालय 29 अक्टूबर को 9वां आयुर्वेद दिवस मनाएगा। इस वर्ष दुनिया भर के 150 से अधिक देश आयुर्वेद दिवस को समान रूप से मनाएगें। इस साल वैश्विक स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद नवाचार को थीम बनाया गया, जिससे आयुर्वेद के नये प्रयोग और स्वास्थ्य को बेहतर रखने वाले शोध को आम लोगों तक पहुंचाया जा सके। कार्यक्रम का आयोजन अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान में आयुष मंत्रालय द्वारा आयोजित किया जाएगा।
केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रतापराव जाधव ने आयुर्वेद दिवस के महत्व के बारे में कहा कि आयुर्वेद दिवस अब एक वैश्विक पहल बन गया है। हमें यह जानकर गर्व है कि आयुर्वेद दिवस समारोह 2024 में 150 से अधिक देशों के शामिल होने की उम्मीद है। इस वर्ष के आयुर्वेद दिवस समारोह का विषय वैश्विक स्वास्थ्य में आयुर्वेद के योगदान को नए आयाम देता है। हमारा उद्देश्य जनता के कल्याण के लिए आयुर्वेद को एक मजबूत चिकित्सा प्रणाली के रूप में वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देना है। इसके तहत अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान ने पूरे देश में एक महीने का कार्यक्रम शुरू किया है।
आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि आयुर्वेद दिवस समारोहों के माध्यम से गैर-संचारी रोगों, मानसिक स्वास्थ्य, रोगाणुरोधी प्रतिरोध और वृद्धावस्था देखभाल सहित महत्वपूर्ण स्वास्थ्य मुद्दों पर विचार करने के लिए आयुर्वेद को समकालीन विज्ञान के साथ एकीकृत करने पर आयुष मंत्रालय ध्यान केंद्रित करता है। उन्होंने मंत्रालय की नवीनतम पहलों के बारे में कहा कि आयुष ग्रिड के तहत डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से आयुर्वेद संबंधी ज्ञान को जनता के लिए आसानी से सुलभ बनाया गया है, जिसमें आयुर्वेद योजना, आयुष अनुसंधान पोर्टल और नमस्ते पोर्टल जैसी प्रमुख पहल शामिल हैं।
इस समय आयुर्वेद को दुनिया भर के 24 देशों में मान्यता प्राप्त है, जबकि आयुर्वेद उत्पादों को 100 से अधिक देशों में निर्यात किया जाता है। इस वर्ष के समारोह में स्टार्टअप और उद्योग की महत्वपूर्ण भागीदारी होगी, जो आयुर्वेद को वैश्विक स्वास्थ्य नवाचार के केंद्र में स्थापित करेगा।
आयुष मंत्रालय के सलाहकार और शिलांग स्थित उत्तर-पूर्वी आयुर्वेद और होम्योपैथी संस्थान (एनईआईएएच) के निदेशक डॉ. मनोज नेसारी ने कहा कि वैश्विक स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद नवाचार’ थीम को विशेष रूप से आयुर्वेद में किए गए व्यापक शोध कार्यों को उजागर करने के लिए चुना गया है, ताकि स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और विभिन्न रोग स्थितियों के उपचार में आयुर्वेद की वैज्ञानिक प्रासंगिकता स्थापित की जा सके। यह दुनिया भर के लोगों की स्वास्थ्य सेवा के लिए आयुर्वेद की प्रासंगिकता को भी उजागर करता है, चाहे उनका धर्म, जातीयता, सामाजिक स्थिति और भौगोलिक सीमाएं कुछ भी हों। नवाचार पर विशेष ध्यान हमारे युवाओं को आयुर्वेद में शामिल होने और स्टार्टअप स्थापित करने के लिए आकर्षित और प्रेरित करेगा। मैं उत्तर पूर्वी राज्यों के लोगों और सभी उत्तर-पूर्वी राज्यों में आयुर्वेद को लेकर बढ़ रहे विश्वास को भी देखता हूं।”
जम्मू-कश्मीर के आयुष निदेशक डॉ. मोहन सिंह ने कहा, “इस वर्ष के समारोह की थीम को देखते हुए, हम सभी आयुर्वेद दिवस 2024 की गतिविधियों का हिस्सा बनने के लिए उत्साहित हैं। हम स्वास्थ्य पेशेवरों, शोधकर्ताओं और स्टार्टअप्स के एक असाधारण संगम की आशा करते हैं, जो आयुर्वेद की शक्ति के माध्यम से एक स्वस्थ, अधिक टिकाऊ दुनिया बनाने के लिए समर्पित हैं।”
राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के कुलपति डॉ. संजीव शर्मा ने कहा, “आयुर्वेद दिवस 2024 के समारोह की तैयारी कर रहे हमारे छात्रों और विद्वानों की प्रतिबद्धता और जुनून प्रेरणादायक है। यह समग्र स्वास्थ्य के नए आयामों को तलाशने का एक अवसर होगा, जहाँ प्राचीन ज्ञान वैश्विक स्वास्थ्य के लिए आधुनिक नवाचार के साथ जुड़ता है।”
आयुर्वेद शिक्षण और अनुसंधान संस्थान (आईटीआरए) के निदेशक डॉ. बी.जे. पटागिरी ने कहा, “इस वर्ष के समारोह में छात्रों, विद्वानों और नवप्रवर्तकों की भागीदारी इस बात का प्रमाण है कि कैसे परंपरा और नवाचार मिलकर किस प्रकार वैश्विक स्वास्थ्य में क्रांति ला सकते हैं।”
आयुष मंत्रालय, आयुर्वेद को वैश्विक स्वास्थ्य की मुख्यधारा में एकीकृत करने की दिशा में कार्यरत है। विश्व स्वास्थ्य संगठन वैश्विक पारंपरिक औषधि केंद्र, डब्ल्यूएचओ ग्लोबल ट्रेडिशनल मेडिसिन सेंटर (जीटीएमसी), आयुष्मान भारत योजना और आयुर्वेद जीवविज्ञान में नवाचार के लिए अनुसंधान केंद्र जैसी पहल वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली में आयुर्वेद की भूमिका को आगे बढ़ा रही हैं। इसके अतिरिक्त, पुनः सक्रिय “आई सपोर्ट आयुर्वेद” अभियान का लक्ष्य आयुर्वेद के प्रति 250 मिलियन से अधिक लोगों का समर्थन प्राप्त करना है। पिछले साल का अभियान 160 मिलियन वोटों के साथ काफी सफल रहा था।
29 अक्टूबर 2024 के कार्यक्रम को देखते हुए आयुष मंत्रालय, इसके सहयोगी संस्थान, आयुर्वेद पेशेवर और दुनिया भर के आयुर्वेद से जुड़े लोग इस अनूठे उत्सव के लिए उत्साहित हैं। नवाचार और सहयोग के माध्यम से, आयुर्वेद वैश्विक स्वास्थ्य और कल्याण के लिए स्थायी समाधान प्रदान करने के लिए तैयार है।
आयुर्वेद दिवस हर साल धन्वंतरि जयंती (धनतेरस) के पवित्र अवसर पर मनाया जाता है। वर्ष 2016 में स्थापना के बाद से, आयुर्वेद दिवस ने वैश्विक महत्व प्राप्त कर लिया है। इस वर्ष का उत्सव ऊर्जा और उत्साह से भरा हुआ है, जिसका समापन 29 अक्टूबर 2024 को होगा। इस दौरान पूरे माह स्वास्थ्य संवर्धन और रोग निवारण में आयुर्वेद के महत्व को दर्शाते हुए देश भर में विभिन्न कार्यक्रम और गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं।
समुंद्र मंथन से प्रकट हुए भगवान धन्वंनतरि
पौराणिक मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि यानी धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे। इनके हाथ में अमृत कलश और एक पुस्तक थी, जिसमें दुनिया के सभी रोगों का निदान आयुर्वेद में बताया गया था। इसलिए इस दिन धन्वंतरि भगवान की पूजा करने से स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं, धन्वंतरि कौन थे और वे आयुर्वेद के जनक क्यों कहलाते हैं? कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी धन त्रयोदशी या धनतेरस पर सबको धन-धान्य देने वाली मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर देव की पूजा का विधान है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, भगवान धन्वंतरि की उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि हुई थी। यही कारण है कि धन त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि का प्राकट्य-दिवस यानी जन्म उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। मान्यता है इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा से व्यक्ति निरोग ओर सुखी रहता है।
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