चेहरे की चमक के लिए नाभि में दो बूंद डाले ये दवा

नई दिल्ली

किसी भी उम्र में चेहरे पर झांइयां (Pigmentation) या धब्बे आजकल सौ में चालीस लड़कियों की समस्या होती है। दागदार चेहरा न सिर्फ आत्मविश्वास कम करता है चेहरा मेकअप से छिपाना पड़े तो दोपहर में घर से बाहर निकलना भी दूभर हो जाता है, क्योंकि धूप में अकसर फाउंडेशन या फिर कंसीलर को छुपाना मुश्किल होता है। ऐसे में क्या किया जाएं कि प्राकृतिक रूप से चेहरे पर निखार जाया जा सके। इसके लिए सबसे पहले तो आपको झांइयां दूर करने के लिए एस्टेरॉयड क्रीम के प्रयोग से बचना होगा, साथ ही सनस्क्रीम (Sun scream)का प्रयोग भी डॉक्टर की सलाह पर ही करें। आजकल बाजार में नाभि थेरेपी भी कई कारगर दवाएं हैं जिनके प्रयोग से चेहरे पर गजब का निखार आता है। नाभि तेल और नाभि की दवा में जमीन आसमान का फर्क, कुछ ही आयुर्वेदिक दवाओं को नाभि (Navel Therapy) में प्रयोग की सलाह दी जाती है जो वास्तव में कारगर हैं, इसलिए बाजार में नाभि के तेल तो बहुत सारे मिल जाएगें लेकिन नाभि की दवा बहुत ही कम हैं जिसमें चुनिंदा आयुर्वेदिक कंपनियां ही काम कर रही हैं।

एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाली 32 वर्षीय आरती आहूजा बताती है कि उनका काम अकसर फील्ड का होता है, इसलिए उन्हे चेहरे को धूप से बचाना होता है, एहतियात के तौर पर वह चेहरे पर सनस्क्रीम भी लगाती रही हैं, लेकिन कुछ समय बाद देखा कि सनस्क्रीम की वजह से ही चेहरा खराब हो गया। डरमेटालॉजिस्ट (Dermatologist) से संपर्क करने पर पता चला कि एसपीएफ युक्त वह जिस क्रीम का इस्तेमाल कर रही थी, उसमें अत्यधिक मात्रा में स्टेरॉयड था, जिसकी वजह से चेहरे की प्राकृतिक सुंदरता जाती गई और त्वचा की प्राकृतिक रौनक गायब ही हो गई। आरएमएल अस्पताल के डरमेटोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ कबीर सरदाना कहते हैं कि दरअसल भारतीय त्वचा के लिए सनस्क्रीम बनी ही नहीं है, दरअसल उष्ण कटिबंधीय देशों के पास रहने वाली लोगों की त्वचा में मेलानिन (Melanin)अधिक बनता है, उसे नियंत्रित करने के लिए उन्हें एसपीएफ युक्त सनस्क्रीम की जरूरत होती है, जबकि भारत में इसकी जरूरत नहीं है। अस्पताल में पोस्टर और पम्फलेट की माध्यम से भी इस बात की जानकारी दी जाती है कि मरीज बेवजह त्वचा पर स्टेरॉयड (Steroid) का प्रयोग न करें।

अब प्रश्न उठता है कि यदि एक बार झांइया हो गईं तो उसका सुरक्षित इलाज क्या है। इस बारे में नाभि दवा में काम करने वाली हर्बल उत्पाद की कंपनी अमैक्स कंज्यूमर हेल्थ केयर (Amax Consumer Health Care) के वैद्य अमरजीत सिंह कहते हैं कि आयुर्वेद में नाभि को शरीर का जड़ माना जाता है, नवजात शिशु नौ माह तक मां के गर्भ में रहते हुए नाभि या गर्भनाल से जुड़े रहने पर ही मां से आहार और पोषण प्राप्त करता है। आयुर्वेद के सुश्रुत संहिता में नाभि के प्रयोग पर व्यापक चर्चा की गई है। अभी तक लोगों का इतना ही सीमित ज्ञान है कि नाभि में सरसों का तेल या फिर अन्य कोई तेल डालना ही कारगर होता है, जबकि ऐसा नहीं है नाभि शरीर का बहुत ही संवेदनशील हिस्सा होती है इसलिए पहला सत्य तो यह है कि हम किसी भी तरह के कैमिकल (Chemical) का प्रयोग नाभि में डालने वाली किसी भी दवा में नहीं कर सकते। कुछ ही कंपनियां नाभि की दवा बनती हैं जो फाइटोजेनिक फार्मुले पर आधारित होती हैं। अमैक्स कंज्यूमर हेल्थ केयर उन चुनिंदा कंपनियों में एक हैं, हम नाभि की दवा द्वारा कई बीमारियों को नियंत्रित कर सकते हैं क्योंकि हमने शरीर के जड़ यानि नाभि पर काम करना शुरू किया। इमोटॉल (Immotol) को हम वैसे तो कई परेशानियां जैसी बीपी, शुगर, थॉयरॉयड, यूरिक एसिड, कोलेस्ट्राल, आंखों की कम रौशनी आदि के लिए प्रयोग करते हैं, लेकिन इसकी एक उपयोगिता स्कीन से पिगमेंटेशन या फिर झाइयां दूर करना भी है। छह महीने तक नियमित प्रयोग से आपके चेहरे पर प्राकृतिक निखार धीरे धीरे वापस आने लगेगा, इसे केवल सोते समय नाभि में दो बूंद डालना है। नियमित प्रयोग पहली शर्त है। कंपनी अपने बेहतर परिणाम के लिए इस प्रोडक्ट की सबसे अधिक सेल करती है। हमारे पास ऐसी महिलाओं के फोन आते हैं झाइयों की वजह से जिनका न सिर्फ आत्मविश्वास कम होता था, बल्कि लोगों से मिलना जुलना भी कम कर दिया था। नाभि की एक दवा से खोया हुआ आत्मविश्वास वापस कर दिया।

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