महिलाओ की खूबसूरती में चार चाँद लगाने वाले एक जरुरी अंग को तोहफे के रूप में देने की मुहीम शुरू के हैं एक स्वयंसेवी संगठन ने, जो जरुरत पड़ने पर हर उस महिला के मदद करते हैं जो स्तन कैंसर की वजह से अपना आत्मविश्वास खो चुकी हैं.
स्तन कैंसर के शिकार ३३ वर्षीय मीरा के एक स्तन को उसकी जान बचने के लिए के लिए निकाल दिया गया, जीवन तोह बच गया, लेकिन मीरा का आत्मविश्वास जाता रहा, पति से साथ अक्सर पार्टीज में शामिल होने वाली मीरा अक्सर घर में ही रहने लगी, यह पुरुषवादी सोच और संकुचित मानसिकता का ही नतीजा हैं महिला की खूबसूरती को एक अच्छे मन की जगह तन की खूबसूरती से जोड़कर देखा जाता हैं, खैर ऐसी ही सोच का शिकार हुई मीरा, और धीरे उसकी दुनिया कमरे में कैद हो गयी. मीरा की एक अच्छी दोस्त मेडिकल रिप्रेजेन्टेटिव थी, लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल की ऑन्कोलॉजी विभाग की ओपीडी में उसने स्तन कैंसर की शिकार महिलाओ को प्रोस्थेटिक अंग और एक ब्रा निशुल्क देने का विज्ञापन देखा. अंग देने का काम एक स्वयं सेवी संस्था द्वारा कर रही थी. जिसकी जानकारी उसने मीरा को दी, आर्टिफीसियल स्तन देने की ऐसे सूचना पर पहले तोह मीरा को विश्वास नहीं हुआ बाद में हेल्पलाइन नम्बर पर बात की, तोह उसका सारा भरम दूर हो गया. पता चल एक साल में एक हज़ार महिलाओ को आर्टिफीसियल स्तन दिए जा चुके हैं, जिसके एवज में उनसे कोई शुल्क नहीं लिया जाता.