नई दिल्ली, एम्स में हर साल दो से तीन छात्र आत्महत्या कर रहे हैं, संस्थान में आकर छात्रों का हौंसला पस्त हो रहा है। तमाम तरह की के तनाव के बीच मरीजों का बेहतर इलाज करना नामुमकिन है, इस बात को ध्यान में रखते हुए एम्स में शुक्रवार को हॉस्टल नंबर सात के सामने ‘नो हेल्थ विथआउट मेंटल हेल्थ ‘ कार्यक्रम का आयोजन किया। तनाव पर चर्चा करने के लिए आईआईटी दिल्ली के वेलनेस सेल के डॉ. राहुल गर्ग, डॉ. राजीव शर्मा, एम्स के साइक्रेटिक विभाग के डॉ. नंद कुमार सहित कई लोग उपस्थित थे।
स्टूडेंट ऑफ यंग साइंटस्टि एसोसिएशन एसओवाईएस और आरडीए के सहयोग से आयोजित कार्यक्रम में तनाव से जूझ रहे छात्रों ने मंच पर मौजूद लोगों के साथ अपने अनुभव साक्षा किए। चिकित्सा जगत और विज्ञान से अलग अध्यात्म में मन की शांति का महत्व बताते हुए इस्कॉन मंदिर के श्रीप्रभु रिशि कुमार ने गीता में वर्णित सुख का वर्णन किया। जीवन में अधिक धन की इच्छा, जीवआत्मा को नजरअंदाज करना और भौतिक सुख सुविधाओं के पीछे भागना ही दुख की वजह है। डॉ. नंद कुमार ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर कई तरह की पहल की जा रही हैं, इसी क्रम में एम्स के छात्रों की किसी भी तरह की मानसिक समस्या का समाधान करने के लिए पांच मनोचिकित्सको, हीलर और काउंसलर की नियुक्ति का प्रस्ताव मंत्रालय को भेजा गया है। मनोविज्ञान से लाइफ कोच बने एम्स के पूर्व छात्र डॉ. राजीव शर्मा ने जीवन में छोटी चीजों में खुशी ढुंढने की बात की। छात्रों से बीच वर्तालाप के दौरान गैस्ट्रोइंटेलॉजी विभाग की डॉ. ज्योति ने तनाव संबंधी अपने अनुभव साक्षा किए। मालूम हो कि मनोविज्ञान विभाग के पीजी छात्र डा. स्वपनिल ने मंच का समायोजन किया।