नई दिल्ली
कोरोना महामारी की अनिश्चिता के बीच लोग तनाव में हैं, उपलब्ध वैक्सीनों की सुरक्षा के साथ ही संक्रमण से होने वाली मौत के आंकड़े डर का माहौल बना रहे हैं। अस्पतालों में बेड की कमी, ऑक्सीजन और वेंटिलेटर बेड की कमी आदि सोशल मीडिया में दिखाई जाने वाली खबरें डर को और पुख्ता कर रही हैं। निमहंस बंगलूरू में सामाजिक मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर और साइक्लोजिकल सपोर्ट इन डिजास्टर मैनजमेंट प्रमुख डॉ. के सेकर ने बताया कि विपदा के इस समय में सामान्य रहना बहुत मुश्किल है, बावजूद इसके ऐसे बहुत से उपाय जो लोग खुद और अपनों को सुरक्षित रखने के लिए अपना सकते हैं, जिससे तनाव के स्तर को कम किया जा सकता है। डॉ. के सेकर से इस विषय पर हुई वार्ता के प्रमुख अंश-
महामारी से लोग डर सहमे हुए हैं यह माहौल उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है, ऐसे समय में आप लोगों का किस तरह की सलाह देते हैं, जिससे वह महामारी के मुश्किल समय में भी शांत और तनाव मुक्त रहे सकें?
तनावयुक्त माहौल में अपनी भावनाओं को जाहिर करना जरूरी है और यह सामान्य प्रक्रिया है, सबसे पहले तो लोग खुद बहुत सारे खबरों के प्लेटफार्म के जरिए नकारात्मक समाचारों को एकट्टा करते हैं, नकारात्मक खबरों से खुद को कैसे बचाना है, इसका चयन आप खुद कर सकते हैं। प्रमाणिक और सभी खबरों की जानकारी के लिए दिन में एक बार आधिकारिक सूचना की ही जानकारी लें। दूसरा यह भी जरूरी है कि महामारी के समय में भी आप खुद को अपने काम में व्यस्त रखें, इससे आपका ध्यान नकारात्मक खबरों की तरफ नहीं जाएगा और ध्यान खबरों की तरफ से हटेगा। तीसरा यह सही समय है जब आप अपने परिवार के साथ अच्छा समय व्यतीत कर सकते हैं, यदि काम पूरा हो गया है तो खुद को ऐसे कामों में व्यस्त रखें जिसे करना आपको अच्छा लगता है। आप अपने पुराने मित्रों से वुर्चअली जुड़ सकते हैं, उन्हें खुश करने वाले संदेश भेज सकते हैं, कोई नया शौक पूरा कर सकते हैं परिजनों के साथ मिलकर कुछ रचनात्मक कर सकते हैं। ऐसे कुछ छोटे लेकिन महत्वपूर्ण तरीके हैं जिससे आप महामारी की दूसरी लहर के तनावपूर्ण माहौल में भी सामान्य रह सकते हैं।
तनाव और चिंता का यह माहौल लोगों के स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है? क्या कुछ ऐसा भी लक्षण है जिसे लोगों को गंभीरता से लेना चाहिए, और किस स्थिति में चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए?
तनाव, डर और चिंता का असर अलग अलग तरह से पड़ता है। चिंता के कुछ सामान्य असर संक्रमण, मृत्यु, नींद में कमी, उदास रहना, उम्मीद खत्म हो जाना, अपनों से बिछड़ने का डर, बहुत अधिक गुस्सा आना, अल्कोहल का सेवन बढ़ाना, तंबाकू या अन्य नशे का शिकार होना आदि व्यवहार तनाव की गंभीर स्थिति हो सकते हैं। केवल कोविड के मरीज ही नहीं सामान्य लोग भी ऐसी दुविधा का सामना कर रहे हैं, जिसमें वो भविष्य की चिंता, एकाग्रता की कमी और याद्दाश्त कम होने जैसे समस्या का सामना कर रहे हैं, ऐसा तब होता है जब हम मानसिक और शारीरिक रूप से बहुत थक जाते हैं और किसी एक चीज पर ध्यान एकाग्रित नहीं कर पाते। तनाव जब नियंत्रण से बाहर हो जाता है तो यह शरीर से स्त्रावित होने वाले हार्मोन्स को अनियंत्रित कर देता है जो मस्तिष्क के सोचने समझने की क्षमता को प्रभावित करते हैं। यह सही है कि महामारी ने सभी को प्रभावित किया है, लेकिन सभी को एक दूसरे की जरूरत भी है, बहुत से मामलों में हम एक दूसरे की मदद कर सकते हैं। आप अपने दोस्तों और सहयोगियों से बात करें, उनकी समस्या सुनें उसका समाधान करने की कोशिश करें, मदद के लिए उनसे वुर्चअली जुड़े, ऐसा करके आप तनाव को काफी हद तक कम कर सकते हैं। हालांकि बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें चिकित्सा सहायता की जरूरत होती है। यदि आपको इतना अधिक तनाव है कि यह आपकी नियमित दिनचर्या को प्रभावित कर रहा है आप ठीक से सो नहीं पा रहे हैं, अल्कोहल का सेवन अधिक करने लगे हैं या तनाव की दवाएं ले रहे हैं तो आप टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर 0804611007 पर कॉल कर चिकित्सा सहायता ले सकते हैं।
बहुत से कोरोना मरीजों को मानसिक स्वास्थ्य की परेशानी की शिकायत है, क्या 14 दिन के क्वारंटाइन का समय मरीजों पर वायरस से अधिक भारी पड़ रहा है?
दोनों की बातें संभव है। बहुत से लोगों के लिए एकांतवास में रहना मुश्किल होता है संक्रमण को बढ़ने से रोकने के लिए एकांतवास जरूरी है। हम क्योंकि सामाजिक प्राणी हैं और आशा करते हैं कि जब हम बीमार हो तो हमारी अधिक देखभाल हो। 14 दिन का लंबा क्वारंटाइन का समय मरीजों को मानसिक रूप से कमजोर कर देते हैं, यह एक तरह का उनके लिए विकट समय होता है, कोविड के कुछ ऐसे मरीज भी हैं जिन्हें गंभीर स्थिति में इंटेंस केयर यूनिट या आईसीयू में भी लंबा समय बिताना होता है। ऐसी स्थिति में मरीज की मानसिक हालत पर कई चीजों का प्रभाव पड़ता है, उसकी तनाव से जूझने की खुद की क्षमता कितनी है, उनका सामाजिक सहयोग कितना है, बीमारी या संक्रमण कितना गंभीर है उसको बाकी कोई बीमारी या क्रानिक समस्या तो नहीं है आदि बातें कोविड मरीज की मानसिक सेहत के लिए जिम्मेदार मानी गई हैं। वायरस कुछ विशेष परिस्थिति में मस्तिष्क की क्रियाशीलता को भी प्रभावित कर सकता है, यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि मरीज का सामाजिक दायरा कितना बेहतर है, जो उसे आइसोलेशन के समय से उबरने में मदद करते हैं, यह सभी बातें मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालती हैं।
ऐसे मरीजों को मानसिक स्वास्थ्य समस्या से उबरने के लिए किस तरह की देखभाल की जरूरत होती है?
कोविड के मरीजों को संक्रमण के दौरान और संक्रमण बाद भी बेहतर मेडिकल देखभाल के साथ ही मानसिक देखभाल की भी जरूरत होती है। कोविड के मरीज चाहे वह अस्पताल में क्वारंटाइन हों या फिर घर पर आईसोलेशन में हो, स्वास्थ्य कर्मियों को नियमित रूप से उनसे बात जरूर करनी चाहिए, मरीजों से उनके डर और भय के बारे में पूछना चाहिए और उन्हें क्या इलाज दिया जा रहा है, इस बात की सूचना देनी चाहिए। संक्रमण की स्थिति का कौन सा चरण है, उन्हें अस्पताल से कब छुट्टी मिल जाएगी या फिर वह कब आइसोलेशन से बाहर हो जाएगें आदि सभी जानकारियां उन्हें उनकी सेहत के प्रति आश्वस्त करेगी और मरीजों का मनोबल बढ़ेगा।
संक्रमण की गंभीरता को देखते हुए कोविड संक्रमित मरीज खुद भी अपनी सहायता कर सकते हैं। मुझे ऐसा लगता है कि कोविड मरीजों को एक निर्धारित रूटीन का पालन करना चाहिए, अगर आप क्वारंटीन या आइसोलेशन में हैं तब भी सुबह जल्दी उठें, थोड़ा टहलें, मांसपेशियों के हल्के खिंचाव वाले व्यायाम करें, श्वांस संबंधी व्यायाम करें, अच्छा म्यूजिक सुनें, अच्छी मूवी देखें, वीडियो कॉल के जरिए अपने परिजनों और दोस्तों से संपर्क में रहें। अगर आपका स्वास्थ्य इतना अधिक खराब नहीं है कि आप अपने नियमित कार्य करने में समक्ष हैं तो वह खुद करें। सात से आठ घंटे की पूरी नींद लें। अगर किसी को बहुत अधिक गंभीर मानसिक तनाव है तो तुरंत किसी चिकित्सक से सलाह लें।
क्या ऐसे कुछ व्यायाम भी किए जा सकते हैं जो कोविड 19 के मरीजों को तनाव मुक्त होने में सहायता करेगा?
यह मरीज के संक्रमण की स्थिति, उम्र, पहले की बीमारियां और उनके स्वास्थ्य की स्थिति पर निर्भर करता है। सामान्यत: जो मरीज संक्रमण के बाद भी अपनी नियमित दिनचर्या को करने में सक्षम होते हैं वह उसको अपनाते हैं और इससे तनाव को कम करने में बहुत मदद मिलती है और संक्रमण जल्द ठीक हो जाता है। अब तक उपलब्ध शोध बताते हैं कि नियमित रूप से शारीरिक गतिविधि, पोषण युक्त आहार, योग, ध्यान और आसन, प्राणायाम आदि शरीर और मस्तिष्क को ठीक या हील करने की क्षमता रखते हैं। हालांकि हम कोविड 19 के मरीजों किसी तरह की जटिल एक्सरसाइज या व्यायाम करने की सलाह नहीं देते हैं, कोविड मरीज साधारण मांसपेशियों के खिंचाव और सांस संबंधी व्यायाम कर सकते हैं।