नई दिल्ली,
कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए क्वारंटाइन का समय काफी मुश्किल होता है, निर्धारित दूरी का पालन करने के साथ ही वह अपने परिजनों से भी कट जाता है। इस दौरान अकेलापन मस्तिष्क में कई तरह के नकारात्मक विचारों को पैदा करता है। विशेषज्ञ भी मानते हैं कि कोरोना संक्रमित मरीज कई तरह की मानसिक परेशानियों का सामना कर रहे हैं। इसी क्रम में एम्स से फेलोशिप कर रहे एक डॉक्टर ने संक्रमण से उबरने के साथ ही कोरोना और मेंटल हेल्थ पर एक प्रोग्राम पोस्ट कोविड माइंड बॉडी डेवलपमेंट तैयार कर दिया।
दिल्ली एम्स से पोस्ट डॉक्टोरल फेलोशिप कर रहे मनोवैज्ञानिक डॉक्टर आलोक मिश्रा को 11 नवंबर को कोरोना पॉजिटिव पाया गया, एक हफ्ते तक उन्होंने संक्रमण को घर पर रहकर ही मैनेज करने की कोशिश की, लेकिन 17 नवंबर की सुबह उनकी तबियत बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें एम्स इमरजेंसी में लाया गया, जहां से उन्हें एम्स ट्रामा सेंटर शिफ्ट कर दिया गया। 26 नवंबर तक डॉक्टर आलोक को निगरानी में रखा गया। इसके बाद उनकी सभी रिपोर्ट नार्मल आने लगी, कोरोना संक्रमण के इस दौर को उन्होंने करीब से महसूस किया और इस बावत आने वाली मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों को कागज पर उतार दिया। इस दौरान लगातार लिखते हुए उन्होंने कोरोना और मानसिक स्वास्थ्य का एक प्रोग्राम तैयार कर दिया। पोस्ट कोविड माइंड बॉडी केयर डेवलपमेंट प्रोग्राम में उन्होंने कोरोना इलाज के दौरान आने वाले मानसिक स्वास्थ्य की चुनौतियों से निबटने के उपाय बताए। एम्स ट्रामा सेंटर के प्रमुख डॉ. राजेश मल्होत्रा ने बताया कि डॉ. आलोक मिश्रा के इस प्रयास की सराहना की जानी चाहिए, जिसके कारण कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में मानसिक स्वास्थ्य को भी ध्यान में रखा गया, डॉ. राजेश मल्होत्रा ने बताया कि उनके इस प्रपोजल को प्रोटोकाल में शामिल किया जाएं। डॉ. आलोक मिश्रा ने नेशनल ज्योग्राफिक चैनल के प्रोग्राम मेगा आइकन्स में अपना योगदान दिया है, जिसमें दलाई लामा, किरण बेदी, विराट कोहली, कमल हसन आदि लोगों का ब्रेन एनालाइज किया था। एम्स ट्रामा सेंटर से विदाई के दौरान सभी ने डॉ. आलोक की तारीफ की। दो दिन पहले डॉ. आलोक को ट्रामा सेंटर से छुट्टी दी दी गई।