पुराने मेडिकल उपकरण आयात करेगा स्वास्थ्य मंत्रालय!

MoEFCC accused of National Medical Devices Policy violations by Industry Associations

नई दिल्ली

जी हां आपने सही सुना, देश में गुणवत्ता परक मेडिकल उपकरणों (Medical Devices) का निर्माण होने के बाद भी स्वास्थय मंत्रालय ने पुराने प्रयोग किए गए मेडिकल डिवाइस को आयात करने का ऑफिस ऑडर जारी किया है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के एक ऑफिस मेमोरेडम पर मेडिकल जगत ने नाराजगी जताई है। इस ऑफिस मेमोरेंडम से भारत सरकार के आत्म निर्भर भारत और मेड इन इंडिया अभियान को झटका लगा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को संबोधित करते हुए मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री सहित अन्य मेडिकल उद्यमियों ने ओएम का विरोध किया है। स्वास्थ्य मंत्रालय और पर्यावरण मंत्रालय ने अक्टूबर महीने में ऐसे मेडिकल उपकरणों को आयात करने का ऑर्डर जारी किया है, जिसका निर्माण पहले से ही भारत में होता है। यह मेडिकल उपकरण नये नहीं बल्कि रियूजेबल या फिर मरम्मत किए हुए होगें। मेडिकल जगत के विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में ही इससे कहीं बेहतर मेडिकल डिवाइस बनाए जाते हैं, नवीनीकृत मेडिकल उपकरणों का आयत करके मरीजों की सुरक्षा को भी दरकिनार किया जा रहा है। क्योंकि देश में इन मेडिकल उपकरणों को पैकिंग कर दोबारा बेचा जाएगा। आम मरीजो को इस बात का पता भी नहीं होता और आसानी से वह संक्रमण का शिकार हो सकते हैं।

एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल डिवाइस (एआईएमईडी), पीएचडी चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री सहित मेडिकल जगत के कई संगठनों ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया है। संगठन का कहना है कि पिछले दस साल में भारतीय मेडिकल उपकरण इंडस्ट्री ने काफी तरक्की की है, घरेलू मेडिकल उपकरण कंपनियां अधिक बेहतर और गुणवत्ता परक उपकरण बना रही हैं, ऐसे में बाहर से रियुजेबल या मरम्मत किए हुए मेडिकरण उपकरणों के आयात के लिए ऑफिस मेमोरेंडम जारी करना मरीजों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है। डीजीएचएस (महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं) और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने नियमों की अवहेलना करते हुए यह मेडिकल उपकरण बाहर से मंगाने का ऑर्डर जारी किया है। जिन उपकरणों के आयात के लिए ऑर्डर जारी किया किया गया है वह पहले से ही घरेलू मेडिकल उपकरण कंपनियों निर्माता 2023 की सूची में पहले से ही लिस्टेड हैं। ऑफिस ऑर्डर में अनिवार्य कलॉज को भी हटा दिया गया है, जिसमें यह लिखना जरूरी होता है कि जिन उपकरणों का निर्माण भारत में होता है, उन्हें बाहर से नहीं मंगाया जा सकता।

एआईएमईडी से फोरम कोऑडिनेटर राजीव नाथ ने कहा कि इससे घरेलू मेडिकल उपकरण निर्माओं को काफी हताशा हुई है, मंत्रालय द्वारा ऐसे रियुजेबल और मरम्मत किए उपकरणों केा बाहर से मंगाने का ओएम जारी किया गया, जिनका देश में ही गुणवत्तापरक उत्पादन होता है। ऑफिस मेमोरेंडम केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और पर्यावरण,वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी किया गया है, यह ऑर्डर प्रधानमंत्री द्वारा वर्ष 2023 में जारी की गई नेशनल मेडिकल डिवाइस पॉलिसी की भी अवहेलना करता है, जिसमें मेडिकल उपकरणों के निर्माण में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की बात कही गई है। प्री ओवन्ड या फिर प्रयोग किए गए बाहर से आयात किए जाने वाले मेडिकल उपकरणों से मरीजों की सुरक्षा को भी ताक पर रखा जाएगा, स्वदेशी मेडिकल उपकरणों की जगह विदेशी असुरक्षित प्रयोग किए गए मेडिकल उपकरणों का आयात करना वैश्विक स्तर पर भारतीय मेडिकल बाजार की छवि को भी खराब करेगा। नेशनल मेडिककल उपकरण पॉलिसी निवेदशों को भारत में मैन्युफैक्चिरिंग टेक्नोलॉजी लाने की इजाजत तो देती है लेकिन उपकरणों को लाने की अनुमति नहीं देती। राजीव नाथ ने कहा कि पश्चिमी देश अकसर ऐसी रणनीति का पालन करते हैं, उनके यहां नियमों पर अयोग्य करार किए गए मेडिकल उपकरणों को भारत में सस्ते दाम पर बेचा जाता है, जो खरीदने में तो सस्ते पड़ते हैं, लेकिन मरीजों की सुरक्षा का इसमें ध्यान नहीं दिया जाता। कंपनियां इस संदर्भ में भारतीय मरीजों को डंपिंग ग्राउंड समझती है, निश्चित रूप से इसमें सरकार को दखल देना चाहिए, जिससे मेडिकल जगत की गुणवत्ता बनी रहे।

पीएचडीसीसीआई में मेडिकल डिवाइस कमेटी के पूर्व चेयर डॉ सुधीर श्रीवास्तव ने कहा कि इससे निवेशकों को काफी आघात पहुंचा है, पिछले कुछ सालों में भारतीय मेडिकल इंडस्ट्री ने काफी तरक्की की है, हम आरएंडडी पर अधिक से अधिक निवेश कर रहे हैं जिससे उपकरणों की गुणवत्ता बनी रहे, बावजूद इसके भारतीय उपकरण निर्माताओं पर विश्वास जताने की जगह बाहर के कम गुणवत्ता के मेडिकल उपकरणों का आयात करना निराशाजनक है। डा़ सुधीर ने कहा कि भारतीय मेडिकल जगह को सुदृढ़ करने के उपायों पर सरकार को विचार करना चाहिए, जिससे भारतीय उद्यमियों के लिए पारिस्थितिकरण बना रहे। इनोवेशन हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड के को फाउंडर मिस्टर अतुल शर्मा ने कहा कि हम एशिया के सबसे बड़े कैथ लैब मैन्यूफैक्चरर हैं, हम गुणवत्ता में वैश्विक मानकों का पालन करते हुए उपकरणों का निर्माण करते हैं, जिसके उपकरण ए टायर सिटी से लेकर बी टायर सिटी को भी पहुंचाए जाते हैं,  भारतीय मेडिकल उपकरण इंडस्ट्री में लोकल नवीनीकरण को बढ़ावा देने पर विचार किया जाता है, सीडीएससीओ को इस मामले पर हस्तक्षेप करना चाहिए जिससे बेवजह के निर्यात से भारतीय मेउिकल उद्यम को क्षति न पहुंचे।

मालूम हो किे पूर्व में प्रयोग किए गए मेडिकल उपकरणों की यदि मरम्मत या नवीनीकरण भी कर दिया तब भी उनके मिलने वाले परिणाम पर संदेह बना ही रहता है। अधिकांश मरीज इन्हे नया समझ कर ही प्रयोग करते हैं या फिर खरीदते हैं, जबकि उन्हें पहले भी प्रयोग किया जा चुका होता है, जो मरीजों के मूलभूत बेहतर इलाज के अधिकारों का भी हनन करता है। सभी विशेषज्ञों ने इस मामले पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से हस्तक्षेप करने की अपील की और कहा कि ऐसे मेडिकल उपकरण जिनका भारत में निर्माण होता है उसके आयात का ऑर्डर देने वाले इस ऑफिस ऑर्डर को तुरंत रद्द कर देना चाहिए। प्रेस कांफ्रेंस में मितरा (मैन्यूफैक्चरर ऑफ इमेजिन थेरेपी एंड रेडियोलॉजी डिवाइस एसोसिएसन) का भी सहयोग रहा। पीएचडी चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की सहायक सचिव शलिनी शर्मा, एलंजर्स मेडिकल सिस्टम लिमिटेड के निदेशक आरएस कंवर, ट्रिवट्रान हेल्थकेयर के चंद्र गंजू, एसएस इनोवेशन के श्रीनिवास रेड्डी सहित मेडिकल जगत के कई विशेषज्ञ उपस्थित थे।

 

One thought on “पुराने मेडिकल उपकरण आयात करेगा स्वास्थ्य मंत्रालय!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *