नई दिल्ली: राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) बिल पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) और दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए) अब तक विरोध करती रही थी, लेकिन अब डीएमए ने अब इस बिल का समर्थन कर अपनी मंशा जाहिर करते हुए आईएमए से अलग रूख अख्तियार कर लिया है। दोनों डॉक्टर एसोसिएशन के बीच एनएमसी बिल को लेकर मतभेद अब सामने आ गया है। आइएमए द्वारा बिल का विरोध शुरू से की जा रही है और अभी भी इस पर वो अडिग हैं, लेकिन डीएमए ने अब एनएमसी बिल का समर्थन कर यह साफ कर दिया है कि वो इस बिल को लेकर केंद्र सरकार के साथ हैं। लेकिन इसके बावजूद डीएमए की भी इसमें कुछ कमियां नजर आ रही है जिसको लेकर वो बदलाव की मांग भी की है।
डीएमए के अध्यक्ष डॉ. गिरीश त्यागी ने कहा कि शनिवार को एसोसिएशन के कार्यकारणी की बैठक हुई। एनएमसी बिल से संबंधित तमाम पहलुओं पर चर्चा की गई है। जिसमें यह सर्वसम्मति बनी कि सभी मेडिकल कॉलेजों के एमबीबीएस के अंतिम वर्ष की परिक्षा एक साथ लेने और नेक्सट का प्रावधान बेहतर कदम है। इससे स्नातकोत्तर में प्रवेश के लिए छात्रों को अलग से परीक्षा नहीं देनी पड़ेगी। नेक्सट के आधार पर स्नातकोत्तर में दाखिला मिलेगा। इससे एमबीबीएस करने वाले डॉक्टरों को स्नातकोत्तर की तैयारी के लिए कोचिंग में भारी भरकम रकम खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। कोचिंग में समय देने से एमबीबीएस पास करने वाले प्रशिक्षु डॉक्टर प्रैक्टिस में पूरा समय नहीं दे पाते। इसलिए उनकी दक्षता प्रभावित होती है। नेक्सट के प्रावधान में एक खामी यह है कि जिन छात्रों को पहले साल स्नातकोत्तर में दाखिला नहीं मिला तो उन्हें दूसरा मौका नहीं मिल पाएगा।