नई दिल्ली
विटिलिगो, सोराइसिस सहित त्वचा की तमाम बीमारियों के इलाज के लिए राम मनोहर लोहिया अस्पताल में स्वदेशी आधुनिक मशीन लगाई गई है। यूवी रेज युक्त फोटोथेरेपी यूनिट की फोटोटेस्टिंग मशीन से सफेद दाग यानि वेटिग्लो का अधिक बेहतर इलाज किया जा सकेगा। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ अजय शुक्ला ने यूनिट का औपचारिक उद्घाटन किया। फोटोथेरेपी यूनिट में यूवी रेज का सही मात्रा में प्रयोग कर, इससे त्वचा संबंधी संक्रमण व रोगों को सही करने में प्रयोग किया जाता है। यूनिट में विटिलिगो, लूपस, सोराइसिस के मरीजों को निर्धारित समय के लिए अंदर रखा जाता है, और त्वचा के संक्रमण के आधार पर कम या सुक्ष्म मात्रा में यूवी रेज एनबी, यूवीबी लाइट को पहुंचाया जाता है। अस्पताल में पहले बाहर देशों से लाई गई मशीन से यह इलाज किया जाता था, लेकिन गुरूवार को शुरू की गई यूनिट में लगाई गई फोटोथेरेपी मशीन पूरी तरह स्वदेशी है, जिसका निर्माण भारत में ही किया गया है।
उद्घाटन के अवसर पर मौजूद आरएमएल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ प्रोफेसर अजय शुक्ला ने बताया कि निजी अस्पतालों के महंगी त्वचा के इलाज को अस्पताल में निशुल्क उपलब्ध कराया जाएगा, सबसे अहम है कि फोटोटेस्टिंग मशीन को भारत में ही बनाया गया है। इससे पहले यूएस की बनी मशीनों से इलाज होता था, जिसके आयात का काफी खर्चा था। अस्पताल के डरमेटोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ कबीर सरदाना ने बताया कि सर्दियों में क्योंकि यूवी रेज या यूवी किरणें काफी कम मात्रा में धरती पर पहुंचती हैं, इसलिए त्वचा रोगियों की समस्या भी बढ़ जाती है, दूसरी अहम वजह है कि प्रदूषण का असर भी त्वचा रोगियों पर अधिक पड़ता है। अब क्योंकि सर्दियां भी है और प्रदूषण भी ऐसे में फोटोथेरेपी यूनिट से बड़ी मात्रा में रोगियों को लाभ मिल सकेगा। डॉ कबीर ने बताया कि इसके बेहतर प्रयोग के लिए हमने एक फोटोटेस्टिंग मीटर भी खरीदा है जो उचित तरीके से परिक्षण और आकलन करने में मदद करेगा, जिससे मरीजों को जरूरत के अनुसार ही यूपी रेज दी जा सकेगीं। इसके साथ ही हम मरीजों द्वारा खरीदे गए यूवी लैंब की भी जांच कर सकते हैं, जिसे कई बार मरीज खुद खरीदते हैं लेकिन वह मानक के अनुरूप सही नहीं होते।
क्या है फोटोथेरेपी (Photo therapy )और फोटोटेस्टिंग मशीन (Photo testing Machine)
भारत में हमारे पास प्रचुर मात्रा में सूर्य का प्रकाश है, लेकिन सूर्य के प्रकाश का स्पेक्ट्रम फोटोडैमेज और कैंसर का कारण बन सकता है, इसलिए एक केंद्रित यूवी यूनिट की सलाह दी जाती है। चेहरे और हाथों के अलावा अन्य अंगों के लिए भी इसका प्रयेाग किया जा सकता है। इसलिए यूनिट के चेंबर की सहायता से बेहतर तरीके से केंद्रित यूवी रेज का प्रयोग किया जा सकता है। आधुनिक फोटोथेरेपी की अवधारणा दोहरी यूवीए और एनबी यूवीबी (311 एनएम) प्रकाश पर आधारित है और इसकी शुरूआत स्कैंडिनेविया से हुई जहां लंबी सर्दियों के कारण यूवी प्रकाश कम था। सबसे पहले नील्स रायबर्ग फिनसेन ने सूर्य के प्रकाश के जीवाणुनाशक प्रभावों को पहचाना और एक “रासायनिक किरणों” लैंप का उपयोग करके कुछ महीनों के भीतर ल्यूपस वल्गेरिस (त्वचा तपेदिक) से पीड़ित एक दोस्त को ठीक किया। उन्होंने कोपेनहेगन में अपने फोटोथेरेपी संस्थान में एक फ़ोकस करने योग्य कार्बन आर्क लैंप का उपयोग करके ल्यूपस वल्गेरिस के 800 से अधिक रोगियों का इलाज किया। वर्ष 1903 में फिनसेन को “केंद्रित प्रकाश किरणों के माध्यम से ल्यूपस वल्गेरिस के उपचार के लिए” चिकित्सा में नोबेल पुरस्कार भी मिला।
कुछ विशेष बातें
- UVB विकिरण लगभग विशेष रूप से एपिडर्मिस के साथ संपर्क करता है, UVA विकिरण ऊपरी डर्मिस तक भी पहुंचता है। इसलिए, UVB विकिरण का उपयोग एपिडर्मिस को प्रभावित करने वाले सतही त्वचा रोगों के लिए अधिक किया जाता है, जबकि UVA विकिरण का उपयोग डर्मिस को प्रभावित करने वाले गहरे त्वचा रोगों के लिए किया जाता है।
- इसका सबसे अधिक बेहतर प्रयोग सोरायसिस विटिलिगो माइकोसिस फंगोइड्स और स्केलेरोडर्मा में किया जाता है।
- हालांकि नैरोबैंड UVB और UVA1 थेरेपी के लिए त्वचा कैंसर में कोई चिकित्सकीय रूप से अधिक सफलता नहीं देखी गई।