नई दिल्ली: खून में शुगर की अनियंत्रित मात्रा दिमाग को भी प्रभावित कर सकती है। अब तक हुए शोध डायबिटिज की वजह से होने वाली आंख, दिल और किडनी आदि की तकलीफ पर ध्यान दिया गया है। लेकिन एम्स ने एक नई तरह की टाइप फोर डायबिटिज को ग्लूकोमा की वजह बताया है। दरअसल ग्लूकोमा में मस्तिष्क की न्यूरोन्स से होते हुए आंखों तक पहुंचने वाली रेटिनल गैंगलिओन सेल्स पूरी तरह खत्म हो जाती हैं। जिसकी वजह अनियंत्रित शुगर बताया गया है।
एम्स के डॉ. मुनीब फैक और प्रोफेसर तनुज दादा के शोधपत्र को करंट मॉलीक्यूलर मेडिसन जर्नल में प्रकाशित किया गया है। दरअसल चिकित्सकों ने अनियंत्रित शुगर को मस्तिष्क की अन्य बीमारियां जैसे अल्जाइमर, डिमेंशिया और ग्लूकोमा के साथ जोड़ कर देखा। दो से तीन प्रतिशत मामलों में अनियंत्रित शुगर दिमाग और आंखों के ऑक्यूलर टिश्यू को प्रभावित करती है।
दरअसल शुगर की मात्रा नियंत्रित न होने के कारण दिमाग में पहुंचने वाले इंसूलिन सिग्नल जिसे इंसुलिन हाइपोफंक्शनलि प्रक्रिया बाधित होती है, जबकि सामान्य काम करने के लिए दिमाग में ऑक्सीजन के साथ ही खून में मौजूद इंसुलिन का संकेत मिलना भी जरूरी है। मस्तिष्क को पहुंचने वाले इंसुलिन संकेत का असर आंखों के ब्लडप्रेशर पर भी पड़ता है, लंबे समय तक सही संकेत न मिलना ग्लूकोमा की वजह हो सकता है। मालूम हो कि शुगर और ग्लूकोमा के इस शोध के बाद चिकित्साकों के पास ग्लूकोमा के इलाज की दिशा तय की जा सकती है।