व्हाट्स एप की आदत कर देगी तनाव के करीब

whatsappनई दिल्ली: दोस्ती का दायरा बढ़ाने के लिए प्रयोग की जानी वाली सोशल नेटवर्किंग साइट मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही है। युवाओं में तेजी से इस साइट्स की आदत को विशेषज्ञों ने सही नहीं बताया है। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर आयोजित दस दिवसीय कार्यक्रम स्वस्थ्य मस्तिष्क की जरूरत के साथ ही सोशल साइट्स के सीमित प्रयोग पर चर्चा की गई। इस बावत किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि रोजाना आठ से दस घंटे इन साइट् पर समय बिताने वाले युवओं में एकाग्रता की कमी देखी गई है।

हर दो से तीन मिनट में अगर आप अपना व्हाट्स एप चेक करते हैं तो यह तनाव का पहला चरण सकता है। एम्स के मनोचिकित्स विभाग के डॉ. नंद कुमार ने बताया कि किसी भी विषय पर जल्दी सूचना लेने की कोशिश ने युवाओं में धैर्य को कम कर दिया है। दोस्तों का दायरा बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया गया व्हाट्स एप ग्रुप को इसमें सबसे अहम माना गया है। एम्स के मनोरोग विभाग में इस बावत किए गए अध्ययन में देखा गया कि रोजाना आठ से दस घंटे सोशल नेटवकिंग साइट्स के संपर्क में रहने वालों 40 प्रतिशत युवाओं में एकाग्रता की कमी देखी गई। इन्द्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के मनोवैज्ञानिक डॉ. संदीप वोहरा ने बताया कि इंटरनेट की वजह से होने वाले तनाव के शिकार हर हफ्ते 200 से 300 युवा ओपीडी में काउंसलिंग के लिए आते हैं। मल्टी नेशनल कंपनी में काम करने वाले एक युवक से बकायदा तीन महीने तक सोशल नेटवर्किंग साइट्स से दूर रहने की सलाह दी गई। एम्स के मनोरोग विभाग के डॉ. राजेश सागर ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रहते हुए स्कूलों में बच्चों को सोशल नेटवर्किंग साइट् के इस्तेमाल का प्रशिक्षण देने की सलाह दी गई है।

समय करें निर्धारित
इहबास (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हृयुमन बिहेव्यिर एंड एलायड साइंस) के निदेशक डॉ. एनजी देसाई ने बताया कि सूचना और तकनीक की जानकारी रखना अच्छी बात है, लेकिन इसमा समय निर्धारित किया जाना चाहिए, कोशिश करें कि दिन भर में आठ से दस घंटे की जरूरत के हिसाब से नेट का इस्तेमाल करें। सप्ताह के अंत में संभव हो तो परिवार के साथ समय बिताएं, इस दौरान इंटरनेट का इस्तेमाल न करें, सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर दी जाने वाली प्रतिक्रियाओं पर अधिक आक्रमक न हों, यदि किसी का व्यवहार मानसिक शांति भंग कर रहा है तो कुछ समय योग और ध्यान करें।

कुछ छोटे उपाय होगें कारगर
– अपने पुराने शौक को पहचाने और उसे समय दें
– वीकेंड पर लांग ड्राइव पर जाएं, इस दौरान इंटरनेट बंद रखें
– परिवार व कुछ चुनिंदा दोस्तों के साथ मिलने की योजना बनाएं
– घर पर ही कुछ पसंद का बनाएं, नजदीक के सुधार गृह या अनाथ आश्रम जाएं
– जरूरी नहीं सभी चीजों पर प्रतिक्रिया दें, कुछ चीजों को नजरअंदाज करना भी बेहतर

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