नई दिल्ली: योग कई बीमारियों के इलाज में कारगर है। एक हालिया स्टडी में पाया गया है कि योग के जरिए एचआईवी मरीजों के हीमोग्लोबिन लेवल में भी काफी बढ़ोतरी पाई गई। आईसीएमआर ने 60 मरीजों पर 12 हफ्ते तक स्टडी की है, जिसमें एचआईवी के मरीजों में योग की बदौलत सुधार देखने को मिला है। आईसीएमआर ने नैशनल रिसर्च इंस्टिट्यूट की मदद से यह स्टडी की है। इस स्टडी में योग के सुदर्शन क्रिया की मदद ली गई थी। स्टडी में पाया गया कि ऐसे मरीजों में हीमोग्लोबिन 13.9 से बढ़कर 15.4 ग्राम तक पहुंच गया।
योगाचार्य दिव्य सुनील का कहना है कि सुदर्शन योग क्रिया डीटॉक्सिफिकेशन का काम करती है। अब तक जो भी स्टडी हुई है उसमें देखा गया है कि रेसप्रेटरी सिस्टम के जरिए ब्रेन के निगेटिव सोच को पॉजिटिव में बदला जा सकता है। इसके लिए योग की मदद लेनी होती है और तीन से चार फेज में प्रोटीन का लेवल बढ़ने लगता है। उन्होंने कहा कि एचआईवी मरीजों के ब्लड में सीडीफोर काउंट कम होने लगता है और इस वजह से मरीज का इम्यून सिस्टम कमजोर होने लगता है। इसलिए जब इसका इलाज किया जाता है तो डॉक्टर सीडी फोर काउंट को बेहतर करने का प्रयास करते हैं।
स्टडी में शामिल आईसीएमआर की साइंटिस्ट डॉक्टर नीता कुमार ने कहा कि एक निश्चित समय के बाद मरीजों में सीडी फोर सेल्स के साथ ही हीमोग्लोबिन, बॉडी मास इंडेक्स, ब्लड प्रेशर और ग्लूकोज में सुधार देखा गया। इस स्टडी के बाद नाको एचआईवी मरीजों को दी जाने वाली एंटी रिट्रोवाइटल थेरेपी के साथ अब योग को भी इलाज में शामिल कर सकता है।
इन सभी एचआईवी मरीजों को वेद विज्ञान महाविद्यापीठ के योगा ट्रेनर ने ट्रेनिंग दी। हफ्ते में 20 घंटे की ट्रेनिंग के दौरान मरीजों को प्राणायाम, अलग-अलग मुद्राओं में सुदर्शन के साथ अनुलोम-विलोम कराया गया। स्टडी के बाद जहां मरीजों का सीडीफोर काउंट 661.1 था वह बाद में 801 क्यूबिक एमएम पाया गया। हीमोग्लोबिन 13.9 से बढ़कर 15.4 ग्राम तक पहुंच गया। इसी प्रकार बॉडी मास इंडेक्स जो औसतन 23.5 था, वह बढ़कर 24.4 तक पहुंच गया। इसी तरह बीपी में भी सुधार पाया गया।