नई दिल्ली: एम्स के दीक्षांत 44वें दीक्षांत समारोह के दौरान होम मिनिस्टर राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार जनता को क्वालिटी हेल्थ केयर की दिशा में काम कर रही है। होम मिनिस्टर ने कहा कि न केवल टर्चरी केयर बल्कि सरकार एक साथ प्राइमरी हेल्थ केयर और सेकेंडरी हेल्थ केयर पर भी काम कर रही है। उन्होंने कहा कि पीपीपी मॉडल के जरिए सरकार इस गैप को कम करने के लिए प्रयास कर रही है। 60 पर्सेंट ऐसे लोग एम्स आते हैं, जिन्हें प्राइमारी केयर पर ही इलाज किया जा सकता है।
इस मौके पर हेल्थ मिनिस्टर जे पी नड्डा ने कहा कि अगले दो साल में देश भर में छह और एम्स बनकर तैयार हो जाएंगे और कुल एम्स की संख्या 12 हो जाएगी, देश के डॉक्टरों को यहीं पर बेहतर जॉब का मौका मिलेगा, उन्हें देश छोड़ने की जरूरत नहीं है। जे पी नड्डा ने कहा कि एम्स जैसा नहीं बल्कि एम्स होगा, जो मरीजों के इलाज के लिए पूरी तरह से सक्षम होगा। उन्होंने कहा कि आज हेल्थ सेक्टर में पैनपॉवर और प्रोफेशनल की जरूरत है, अगले पांच साल में 2400 डॉक्टरों की जरूरत है।
नड्डा ने स्टूडेंट्स को संबोधित करते हुए कहा कि जब भी कोई एम्स तैयार होता है तो प्राइमरी लेवल पर ही 200 डॉक्टर की जरूरत होती है। ऐसे में जो डॉक्टर आज एम्स से पढ़कर अपने सुनहरे भविष्य की तलाश कर रहे हैं, उनके लिए देश में ही जॉब का मौका है। उन्होंने कहा कि अभी सीटें खाली रह जाती है, योग्य उम्मीदवार की कमी हो जाती है।
इस मौके पर रेलवे मिनिस्टर मनोज सिन्हा ने एम्स के गोल्डन जुबली पोस्टल स्टैंप का अनावरण किया। दीक्षांत समारोह में एम्स से मेडिकल और रिसर्च की पढ़ाई पूरा करने वाले एमबीबीएस, एमडी, एमसीएच, रिसर्च, पीएचडी करने वाले 953 डॉक्टरों को डिग्री और अवार्ड दिए गए। साथ ही कई पुराने फैकल्टी को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया।