नई दिल्ली,
कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए वैक्सीन की दावेदारी कई देश पेश कर चुके हैं, लेकिन अभी किसी भी देश के वैक्सीन का सफल ट्रायल नहीं हुआ है, सभी इस बहरूपिए वायरस के जीनोम सिक्वेंस पर काम कर रहे हैं। हाल ही में ऑक्सफोर्ड के ट्रायल को फेल किया गया, दरअसल तीसरे चरण के सफल ट्रायल के बाद ही इसे आम लोगों को दिया जाएगा, और इसके लिए तीस हजार से अधिक लोगों पर वैक्सीन का परिक्षण किया जाना जरूरी बताया गया है। भारत के लिए भी तीसरे चरण का ट्रायल चुनौती पूर्ण होगा।
भारत में कोविड टेस्टिंग और ट्रैकिंग विषय पर आयोजित वर्चुअल वर्कशाप में इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी के वैज्ञानिक डॉ. योगेन्द्र सिंह चौहान ने कहा कि दुनिया के लगभग सभी देश कोरोना के संक्रमण से अब भी जूझ रहे हैं कोरोना वैक्सीन की तमाम दावेदारी के बाद भी अभी तक कहीं भी इसका सफल परीक्षण नहीं हो पाया है। वैज्ञानिक कोरोना समूह के ही 2013 में यूरोपीय देशों में फैले सार्स वायरस के जीनोम की डिकोडिंग कर वैक्सीन बनाने का प्रयास कर रहे हैं, सार्स से कुछ देश प्रभावित हुए थे, लेकिन उसका असर कोरोना जैसा भयावह नहीं था। डॉ. योगेन्द्र ने बताया कि एनिमल और लैब टेस्टिंग के बाद कोरोना की मॉस टेस्टिंग के बाद ही इसे आम लोगों तक पहुंचाया जाएगा, जिसके लिए कम से कम तीस हजार लोगों पर इसका सफल परीक्षण किया जाना अनिवार्य है, ऑक्सफोर्ड की प्रस्तावित वैक्सीन तीसरे चरण के ट्रायल में फेल पाई गई। भारत में भारत बायोटेक वैक्सीन की दिशा में काम कर रहा है, लेकिन अभी सफल परिणाम में समय लगेगा। उन्होंने कहा कि केवल वैक्सीन लांच होने भर से काम नहीं चलेगा, भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में वैक्सीन देने के लिए बड़ी संख्या में स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित किया जाएगा, क्या हम उस चरण के तैयार हैं? यह तय है कि कोरोना वैक्सीन ओरल नहीं होगी, इसलिए इसे प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी ही दे पाएगें, यह सब ऐसे प्रश्न हैं, जिसकी वैक्सीन आने से पहले ही तैयारी करनी होगी।