नई दिल्ली,
लंबे समय से राज्य और केन्द्र सरकार के टकराव के कारण अटकी आयुष्मान भारत योजना को आखिरकार सोमवार को दिल्ली के बजट में मंजूरी दी गई है। अन्य राज्यों की तरह दिल्लीवासी भी अब आयुष्मान भारत योजना का लाभ ले सकेगें। इससे पहले राज्य और केन्द्र सरकार में योेजना को लेकर कई पहलूओं पर एक राय नहीं बन पा रही थी। केजरीवाल सरकार लगातार इस योजना का विरोध कर रही थी, सरकार का कहना था कि दिल्ली में पहले से ही राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना संचालित है, ऐसे में आयुष्मान का कोई लाभ नहीं मिलेगा। कांगे्रस के कार्यकाल में लागू हुई राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना कई साल पहले ही दिल्ली में दम तोड़ चुकी है।
दिल्ली सरकार का सोमवार को प्रस्तुत हुआ वार्षिक बजट एक अच्छी खबर लेकर आया। लंबे टकराव के बाद आखिरकार केजरीवाल सरकार ने केन्द्र सरकार की अति महत्वपूर्ण योजना आयुष्मान भारत को दिल्ली में लागू करने करन की अनुमति दे दी। उपमुख्यमंत्री ने बजट भाषण प्रस्तुत करते हुए सोमवार को सदन में इसकी जानकारी दी। मालूम हो कि पश्चिम बंगाल की तरह केजरीवाल सरकार भी आयुष्मान योजना को निजी बीमा कंपनियों को लाभ देने वाली योजना बताती रही है। अब तेलंगाना और पश्चिम बंगाल को छोड़कर देश के सभी राज्यों में आंशिक या पूर्ण रूप से आयुष्मान भारत योजना को लागू कर दिया गया है। आयुष्मान भारत योजना के छह महीने की रिपोर्ट में दो करोड़ से अधिक लोगों के इसका लाभ लेने की बात कही गई, योजना पर केन्द्र सरकार ने छह महीने 21000 करोड़ रुपए खर्च किए ।
क्यों नहीं चल पाई राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना
दिल्ली सरकार आम जनता के स्वास्थ्य बीमा के मामले में जिस योजना का दम भर रही थी, वह राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना पहले ही सम्बद्ध अस्पतालों के सहयोग न देने की वजह से ठप हो गई। इसमें पांच सदस्यों के एक परिवार को एक कार्ड जारी किया जाता था, योजना में तीस हजार रूपए तक का वार्षिक बीमा किया जाता था। लाभार्थियों को बायोमेट्रिक कार्ड जारी किए गए। लेकिन यह योजना इसलिए नहीं चल पाई क्योंकि सम्बद्ध अस्पतालों को इसमें सरकार द्वारा बाद में पैसा दिया जाता था, कई अस्पतालों को इलाज के बाद भी पैसा नहीं दिया गया और पैनल में आने वाले अस्पताल इलाज के निर्धारित रेट से भी खुश नहीं थे। जबकि आयुष्मान योजना में सम्बद्ध अस्पतालों को सरकार पहले इलाज का बजट देती है, इसके बाद किस अस्पताल में योजना के अंर्तगत कितने मरीजों का इलाज किया गया इसका हिसाब मांगा जाता है। जिससे राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण से अस्पताल और बीमा कंपनियों को कोई शिकायत नहीं रहती।
1234 मामले झूठे देखे गए
सरकार आयुष्मान योजना को सफल बनाने के लिए दिल खोल कर पैसा दे रही है। लेकिन इसका फायदा उठाने के लिए गई अस्पतालों ने फ्राड या ठगी करने की भी कोशिश की है। झारखंड के ऐसे दो अस्पताल से फ्राड की शिकायत भी राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के सामने आई हंै। जबकि योजना की हेल्पलाइन नंबर पर बीते छह महीने में 1234 शिकायतें गलत इस्तेमाल की दर्ज की जा चुकी थीं। आयुष्मान कार्ड धारक होने के बाद भी मरीज से पैसे मांगने की रोजाना 25 से 30 हजार शिकायतें आ रही हैं।
मात्र 47 कर्मचारी चला रहे हैं योजना
भारत सरकार की आयुष्मान योजना का एक और अहम पहलू है, जो लोगों को अब तक पता नहीं, देश के लगभग सभी राज्यों में संचालित इस योजना के लिए केवल गठित राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण में 47 कर्मचारियों का स्टॉफ पे रोल पर रखा गया है, जबकि बाकी का काम एजेंसियों द्वारा नियुक्त किए गए आयुष्मान मित्र और रिर्सोस एजेंसी द्वारा किया जा रहा है।