हार्मोनल इम्बैलेंस की वजह से अगर आपके यूट्रस का साइज छोटा रह गया है तो घबराने की जरूरत नहीं है, आप मां बन सकती हैं। डॉक्टरों को एक ऐसे ही केस में महिला के यूट्रस को आर्टिफिशियली डिवेलप करने में सफलता मिली है। इसके बाद आईवीएफ तकनीक की मदद से वह एक बच्चे की मां है और पूरी तरह से स्वस्थ है।
मैक्स अस्पताल की आईवीएफ एक्सपर्ट डॉक्टर भावना बंगा ने कहा कि लड़कियों की बॉडी में जन्म के समय से दाने जितने साइज का यूट्रस(बेबी यूट्रस) रहता है। 12 साल की उम्र में ब्रेन से निकलने वाले हार्मोन की मदद से यूट्रस का साइज बढ़ने लगता है। फिर यूट्रस बॉल की साइज का हो जाता है। शीला(बदला हुआ नाम) के केस में हार्मोन रिलीज नहीं हो रहा था। यही वजह थी कि उसके यूट्रस का साइज दाने के ही सामान था। उसकी ओवरी भी छोटी रह गई थी, जिसमें अंडे नहीं बन रहे थे। इस वजह से उसे मंथली पीरियड नहीं हो रहा था। डॉक्टर भावना ने कहा कि शीला ने पहले भी इलाज कराया था। दवा से उसके पीरियड तो शुरू हो गए थे, लेकिन यूट्रस डिवेलप नहीं होने की वजह से वह मां नहीं बन पा रही थी।
डॉक्टर भावना ने बताया कि इलाज के पहले स्टेज में यूट्रस को आर्टिफिशियली बढ़ाने के लिए दवा दी गई। हालांकि यह लंबा प्रोसेस था। डेढ़ साल के ट्रीटमेंट, लगातार फॉलोअप, अल्ट्रासाउंड की जांच और काउंसलिंग के बाद शीला के यूट्रस का साइज बढ़ाने में सफलता मिली। दूसरे स्टेज में इंजेक्शन के जरिए ओवरी भी डिवेलप किया गया और तब उसके ओवरी में अंडे बनने लगे। अंडे बनने से उसकी फर्टिलिटी क्षमता बढ़ गई और पहले ही प्रयास में आईएवीएफ के जरिए वह मां बन पाई। तीन किलो का बच्चा पैदा हुआ। अब बच्चा पांच महीने का है और पूरी तरह स्वस्थ है। डॉक्टरों के अनुसार 2 प्रतिशत महिलाओं में यह समस्या आती है।