इस बीमारी के लक्षण: इसमें मरीज को बचैनी, घबराहट, बहुत अधिक चिंता, एकाग्रता में कमी, मरीज को हर छोटी छोटी बात की भी बहुत अधिक चिंता होती है, मन में एक अजीब सा डर लगा रहता है। इस बीमारी में दिल की धड़कन तेज हो जाती है, सांस लेने में कठिनाई होती है, मुंह सूखना, ज्यादा पसीना आना, हाथ पैरों का सुन्न हो जाना, शरीर में दर्द होना, कमजोरी होना, थकावट और नींद में कमी जैसे लक्षण होते हैं।
इलाज और रोकथाम:
: मरीज द्वारा इस प्रकार की सोच और व्यवहार को दिखाना एक मानिसक बीमारी है, जिसे स्वीकार करना चाहिए
: मरीज द्वारा घबराहट, बेचैनी और डर प्रकट करने पर साकारात्मक भरोसा देना चाहिए, ऐसे समय मरीज की आलोचना नहीं करें, उन्हें भला बुरा नहीं बोलें। जितना पॉजिटिव बोलेंगे उतना बेहतर असर होगा
: इस बीमारी की शुरुआती इलाज सायकाटरिस्ट डॉक्टर के सलाह पर करें, इससे इलाज संभव है
: यह जान लें कि मानसिक बीमारी कोई छूआ छूत की बीमारी नहीं है
: ऐसे मरीज को शादी से पहले सायकाटरिस्ट की सलाह जरूर लेना चाहिए
: रेगूलर इलाज से मरीज ठीक हो जाता है
: कई बार दवा के साइड इफेक्ट होता है और मरीज दवा लेना बंद कर देते हैं, ऐसी स्थिति में दवा बंद नहीं करें, लेकिन डॉक्टर से इस बारे में जरूर बात करें
: अगर कोई दूसरी बीमारी है तो भी मानसिक बीमारी का इलाज साथ साथ चल सकता है
: ऐसी स्थिति में नशा नहीं करें और स्ट्रेस से मरीज को बचा कर रखें