नई दिल्ली,
केन्द्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना के तहत सम्बद्ध किए गए अस्पतालों की अब रेटिंग की जाएगी। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण इस बावत एक साफ्ट वेयर लांच करेगा, जिससे योजना के तहत पैनल में शामिल अस्पतालों की निगरानी की जाएगी। यदि अस्पताल एनएचए के मानकों पर खरा पाया जाता है तो उसकी रेटिंग होगी।
आयुष्मान भारत योजना लागू होने के छह महीने पूरे होने पर योजना के सीईओ ने पत्रकारों के समक्ष आंकड़े प्रस्तुत किए। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के सीईओ इंदू भूषण ने कि योजना ने अपनी छमाही में बेहतर सफलता हासिल की है। तीन राज्य तेलंगाना, उड़ीसा और नई दिल्ली को छोड़कर सभी राज्यों में योजना को संचालित किया जा रहा है। योजना के तहत सरकार अब तक 21000 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है। जबकि 2.5 करोड़ लाभार्थियों के कार्ड बनाए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि प्राधिकरण चार प्रमुख बिंदुओं पर काम कर रहा है, जिससे इसे अधिक से अधिक लाभार्थियों तक पहुंचाया जा सके। इसमें सबसे पहले हर उस व्यक्ति का कार्ड बनवना है जो इलाज का खर्च वहन करने में अक्षम है, दूसरा योजना से अधिक अस्पतालों को जोड़ा जाए, जिससे दूर दराज के इलाकों में भी लोगों को सही समय पर इलाज मिल सके। योजना का किसी तरह दुरूपयोग न हो, इसके लिए तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा, फर्जी मरीज या फर्जी केस के बारे में अस्पताल में भर्ती होने से पहले ही जानकारी प्राधिकरण तक पहुंच जाएगी, तो वहीं दूसरी तरह फर्जी मरीज दिखा कर अस्पताल बेवजह पैसा न कमा सकें, इसके लिए अस्पतालों की रेटिंग की जाएगी, चौथा और अंतिम पहलू इलाज की गुणवत्ता का होगा, जिसमें इस बात को शामिल किया जाएगा कि यदि मरीज बीपीएल श्रेणी का भी है तो उसे सस्ता या कम गुणवत्ता वाला सर्जिकल उपकरण या इलाज न मिले। प्राधिकरण कोशिश कर रहा है कि योजना को पारदर्शिता के साथ आगे बढ़ाया जाएगा, इसलिए मरीज और अस्पताल सहित बीमा कंपनियों की भी मॉनिटरिंग की जा रही है।
1234 मामले झूठे देखे गए
सरकार आयुष्मान योजना को सफल बनाने के लिए दिल खोल कर पैसा दे रही है, लेकिन इसका फायदा उठाने के लिए गई अस्पतालों ने फ्राड या ठगी करने की भी कोशिश की है। झारखंड के ऐसे दो अस्पताल से फ्राड की शिकायत प्राधिकरण के सामने आई है। जबकि योजना की हेल्पलाइन नंबर पर बीते छह महीने में 1234 शिकायतें गलत इस्तेमाल की दर्ज की जा चुकी है। जबकि आयुष्मान कार्ड धारक होने के बाद भी मरीज से पैसे मांगने की रोजाना 25 से 30 हजार शिकायतें आ रही हैं।
मात्र 47 कर्मचारी चला रहे हैं योजना
भारत सरकार की आयुष्मान योजना का एक और अहम पहलू है, जो लोगों को अब तक पता नहीं, देश के लगभग सभी राज्यों में संचालित इस योजना के लिए केवल 47 कर्मचारियों का स्टॉफ पे रोल पर रखा गया है, जबकि बाकी का काम एजेंसियों द्वारा नियुक्त किए गए आयुष्मान मित्र और रिर्सोस एजेंसी द्वारा किया जा रहा है।