नई दिल्ली,
अगर आप आराम से घर में बैठें हैं तो दूसरी तरफ कोई है जो आपको सुरक्षित रखने के लिए दिन रात मेहनत कर रहा है। यह समय चिकित्सा जगह से जुड़े लोगों के लिए चुनौती पूर्ण है। लेकिन इधर कुछ खबरें आ रही है जिसमें देखा गया है कि कोरोना मरीजों का इलाज करने वाले मेडिकल स्टाफ से पड़ोसी अच्छा व्यवहार नहीं कर रहे हैं। आईएमए के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल और एम्स की वरिष्ठ न्यूरोलॉलिस्ट ने इस मामले को उठाया है, जहां दिल्ली सहित कई जगह मेडिकल स्टॉफ से कोरोना मरीजों का इलाज करने के कारण अच्छा व्यवहार नहीं किया जा रहा है।
एम्स की न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. मंजरी चर्तुवेदी ने बताया कि कोरोना के लिए तैयार टास्क फोर्स के निर्देश के बाद चिकित्सा जगत से जुड़े सभी मेडिकल और पैरामेडिकल स्टाफ को रोस्टर के आधार पर दस से 12 घंटे की नौकरी करने पड़ रही है। ऐसे में जब वह घर वापस जा रहे हैं तो पड़ोसी उनसे दूरी बना रहे हैं। कई जूनियर मेडिकल स्टाफ पड़ोसियों के इस व्यवहार से डरे हुए है। डॉ. मंजरी ने अपील की है कि वह इसलिए अस्पताल में ड्यूटी कर रहे हैं कि आप सुरक्षित रहे सके। सरकार सभी मेडिकल स्टाफ को सुरक्षा के सभी संसाधन दे रही हैं, इसलिए उनसे घर खाली कराना या अच्छा व्यवहार करना उचित नहीं है। तेलंगाना के वारंगल स्थित एमजीएम अस्पताल के एक डीएनबी के छात्र ने अपनी समस्या सोशल मीडिया ग्रुप के जरिए साक्षा की है। बताया जा रहा है कि पड़ोसियों के ऐसे व्यवहार के कारण कई चिकित्सक सड़क पर आ गए हैं। जिससे उन्हें घोर मानसिक तनाव का सामना करना पड़ रहा है। छात्र ने बताया कि तेलंगाना में कई जगह छात्रों के हास्टल को आइसोलेशन वार्ड में बदल दिया गया है। ऐसे हालात में दिन में 12 से 14 घंटे नौकरी नहीं की जा सकती है। डॉ. मंजरी ने कहा कि सरकार को ऐसे मुद्दों को गंभीरता से संज्ञान में लेना चाहिए, इससे चिकित्सकों का मनोबल टूट रहा है।