नई दिल्ली,
विश्व पर्यावरण दिवस पर इससे अच्छी खबर और क्या हो सकती हैं कि अनियमित शुगर को एक जलीय पौधे की मदद से नियंत्रित रखा जा सकता है। मेडिकल जगत के अंर्तराष्ट्रीय शोध पत्र डायबिटिज केयर में प्रकाशित शोधपत्र के अनुसार जलीय पौधा जिसे वॉलफिया ग्लोबोसा भी कहा जाता है। स्वच्छ पानी की सतह पर तैरने वाले बेहद छोटे इस फूल को कई देशों में खाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
शुगर को नियंत्रित करने के देसी उपायों पर शोध करने के लिए अंर्तराष्ट्रीय डायबिटिक केयर जर्नल ने वॉलफिया ग्लोबोसा पर शोध किया। इसमें डायबिटिज की पहली अवस्था के चालीस मरीजों को शोध में शामिल किया गया, 20 मरीजों के एक समय के खाने में वॉलफिय डकवीड और 20 मरीजो के खाने में प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट की अन्य चीजें शामिल की गईं। यह सभी मरीजों में हाई ब्लड शुगर की शुरूआती चरण देखा गया था। बेन गूरिऑन, यूनिवर्सिटी ऑफ निगव के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन में देखा गया कि नमक के एक कण के आकार जीतने जलीय पौधे वॉलफिया के नियमित इस्तेमाल से शुगर का स्तर कम हो गया, सभी चयनित मरीजों में फॉस्टिंग ब्लड शुगर जांचा गया, दो से तीन हफ्ते मे जलीय पौधे के जूस का सेवन करने वाले मरीजों में फास्टिग शुगर का स्तर उन मरीजों की अपेक्षाकृत कम देखा गया, जो नियमित प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट का सेवन कर रहे थे। वॉलफिया ग्लोबोसा स्वच्छ पानी की सतह पर पनपने वाला पौधा है, जिसे कई जगह खाने में इस्तेमाल किया जाता है। पानी दूषित होने पर यह अपने आप नष्ट हो जाते हैं, वॉलफिया को विश्व का सबसे छोटा जलीय पौधा भी माना जाता है।