नई दिल्ली: 41 साल की शांति देवी लम्बे समय से सिर में दर्द कि शिकायत से परेशान थी, इसके साथ ही उसे इस बात का भी एहसास होता था कि शरीर के एक हिस्से ने काम करना बंद कर दिया है, जब परेशानी अधिक बढ़ी तोह वह डॉक्टर के पास पहुंची, शांति के सिर में 200 ग्राम वजन की सिस्ट होने का पता चला, इलाज करने वाले डॉक्टर्स का दावा है कि दिमाग से इतने बड़े सिस्ट को पहली बार निकला गया, दर्द और परेशानी बढ़ी तोह शांति देवी को एम्स में दिखाया गया, जहां ओप्रशन की छह महीने बाद कि तारीख मिली, इसके बाद शांति के परिजन उसे लेकर फरीदाबाद स्थित एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस पहुंचे। वहां पर डॉक्टर ने जांच के बाद सिस्ट निकालने का भरोसा दिया।
मरीज की सर्जरी करने वाले न्यूरो सर्जन डॉक्टर कमल वर्मा ने कहा कि जांच में पता चला कि ब्रेन में बहुत बड़ा सिस्ट है और यह ब्रेन के बाएं हिस्से में है। डॉक्टर ने कहा कि बाएं हिस्से से शरीर का दायां हिस्सा नियंत्रित होता है महिला के इसी हिस्से में सिस्ट था. इस हिस्से से ही मरीज के बोलने के शक्ति नियंत्रित होती है. डॉक्टर ने कहा कि इसमें बहुत बड़ा चैलेंज था, क्योंकि यह ट्यूमर नहीं था, जिसे काट कर निकाला जा सकता था, यह सिस्ट था और अंडे के साइज का था और अंडे के अंदर लिक्विड था, जिसमें पैरासाइट था। अगर यह फट जाता तो कई ऐसे सिस्ट बन जाता और सर्जरी भी सफल नहीं होती। यही नहीं इस सिस्ट से ब्रेन के नर्वआकार के इस सिस्ट में मौजूद पैरासाइट के फटने से मरीज में ऐसे कई सिस्ट बन सकता था, ब्लीडिंग का खतरा था, बावजूद डॉक्टरों ने रेयर सर्जरी को अंजाम देकर शांति देवी को नया जीवन दिया है।
दर्द के बाद आवाज भी हो गयी थी बंद:
बल्लभगढ़ निवासी शांति देवी को कुछ महीनों से सिर में तेज दर्द और बॉडी के बाएं हिस्से में कमजोरी हो रही थी। धीरे धीरे उनकी यह समस्या बढ़ती चली गई और दाएं हिस्से में लकवा मार दिया और आवाज भी बंद हो गई। शांति के पति ने कहा कि पहले लोकल डॉक्टर को दिखाया फिर एम्स गया। एम्स ने कहा कि सर्जरी जरूरी है, लेकिन सात महीने बाद का डेट दिया और बोला कि इस बीच में कुछ हो भी सकता है। डॉक्टर मुकेश पांडे ने कहा कि लगभग आठ घंटे के सर्जरी में हम इस सिस्ट को निकालने में सफल रहे। जब सिस्ट बाहर आ गया और उसे जांच के लिए भेजा तो पाया गया कि इसमें वही पैरासाइट पाया गया जो बंध गोभी या दूसरे कच्चे सब्जी में पाया जाता है। इस बारे में डॉक्टर सेठी ने कहा कि इस सिस्ट का वजन 200 ग्राम और साइज 8 गुणा 8 सेमी का था।
गंदी हरी सब्जी से सेवन से शरीर में पहुँचता है बैक्टीरिया:
डॉक्टर ने कहा कि पैरासाइट उसे कहते हैं जो दूसरों पर निर्भर रहता है। आमतौर पर इस तरह का पैरासाइट जानवर के स्टूल से फैलता है। सबसे पहले यह पैरासाइट जमीन में जाता है और वहां पर सब्जी उगाने या उस पानी को इस्तेमाल करने पर बैक्टीरिया सब्जी में पहुंच जाता है। फिर सब्जी प्रयोग करने से पहले अच्छे से साफ नहीं किया जाता या फिर सब्जी ठीक से पकता नहीं है तो पैरासाइट बॉडी में पहुंच जाता है। सबसे पहले आंत में जाता है, वहां से लीवर में फिर लंग्स में जाता है। ब्रेन तक पहुंचने में केवल एक से दो पर्सेंट मामले आते हैं, जो इस प्रकार का सिस्ट बना देता है। ज्यों ज्यों सिस्ट बढ़ता है त्यों त्यों ब्रेन के नसों पर प्रेशर बढ़ता जाता है और उसका असर बॉडी के दूसरे अंगों पर होता है। डॉक्टर ने कहा कि इस बीमारी से बचाव संभव है, पीएम मोदी का स्वच्छ भारत का अभियान और खुले में शौच को खतम करने की मुहीम से ही बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है